बुधवार, 10 अक्तूबर 2012

तन्हा

आजकल तो  वक्त  बदला बदला नज़र आता है |
इन  सालो में हवा का रुख भी मुड़ा मुड़ा नज़र आता है||
 दादा जी मेरे कहा करते थे पुरानी कहानिया
वो अपने  ज़माने  की बहुत सी निशानिया
की आज फिर वो नए  नए कपडे पहने नज़र आता है |
आजकल तो वक्त  बदला बदला नज़र आता है ||
खोखले लोग, सोच खोखली , खोखली बातें सारी।

सफ़र तन्हा है, वो भी कब तक झेलेंगे,रिश्तो मैं ना खून न पानी, फिर कब तक  होली खेलेंगे  
अभी तो कहतें हैं किसी की जरुरत नहीं,
देखते हैं कि बूढी उमर अकेले कैसे ढोलेंगे

दस्तूर दौर यही होगा रोएगी  खोखली  दुनिया सारी।
वो पुरानी बैठक  भी  तन्हा सी  लगती है || आजकल तो .....





19 टिप्‍पणियां:

  1. दस्तूर दौर यही होगा रोएगी खोखली दुनिया सारी।
    वो पुरानी बैठक भी तन्हा सी लगती है ||
    ....कभी साथ-साथ कभी अकेले-अकेले ही जिंदगी जाने कितने मोड़ों से गुजर जाती हैं ..
    बहुत बढ़िया

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  2. जिंदगी यूँ ही अकेले गुज़र जाती है

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  3. बहुत खुबसूरत .

    लाजवाब रचना , आभार

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  4. वाकई आज बदलते हुए हालातों में जीवन जटिल होता जा रहा है..

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  5. ज़िंदगी का अकेलापन...बहुत भावपूर्ण रचना..

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  6. बहुत ही अच्छा लिखा है। धन्यवाद।

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  7. वाह ,,,, बहुत बढ़िया प्रस्तुति,,,,आभार

    विजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,
    RECENT POST...: विजयादशमी,,,

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  8. ज़िन्दगी एक सफ़र है! अकेले आये है और अकेले ही चले जाना है !! पर अगर मिल जाये उड़ाने ज़िन्दगी का हमसफ़र

    पोस्ट
    तो चार दिन ज़िन्दगी के
    बस यूँ ही चलते जाना है !!!

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  9. abhi cheto nahi to budhaape me akele rona hoga ...par kaun samajhta hai...

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  10. कौन जाने कहाँ मिलेगी बुढ़ापे में पनाह
    क्या रह जाएगी तब तन्हाई भी..तन्हा......
    शुभकामनाएँ और स्नेह ....

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  11. अर्थपूर्ण रचना. धन्यवाद...

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  12. अर्थपूर्ण रचना. धन्यवाद...

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  13. खोखले लोग, सोच खोखली , खोखली बातें सारी। fact. dil ko chhu jaane vaali baat

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  14. बहुत उम्दा रचना
    नीचे दिए लिंक पर आएं और अवगत कराएं...
    http://veenakesur.blogspot.in/

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