शुक्रवार, 24 जनवरी 2020

इस बसंत पंचमी को बन रहा है यह विशेष योग करे यह कार्य। ..



इस बसंत पंचमी को बन रहा है यह विशेष योग करे यह कार्य। ..


30  जनवरी 2020  माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी का पर्व मान्य जायेगा / हिन्दू मान्यता के अनुसार इस तिथि का विशेष महत्व तो है ही  बार बसंत पंचमी  कुछ विशेष योग को लिए हुए भी है माँ सरस्वती को विद्या के देवी कहा जाता है और इस बार बसंत पंचमी  को सर्वार्ध सिद्ध योग के साथ सिद्ध  योग भी बन रहा है / इस दिन गुरुवार व उतराभाद्रपद नक्षत्र होने से सिद्धि योग बनेगा। इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। दोनों योग रहने से वसंत पंचमी की शुभता में और अधिक वृद्धि होगी।
हिन्दू पंचांग में कुछ ऐसे मुहूर्त होते है  जो स्वयं में सिद्ध होते है ऐसे महूर्त में आप  कई महत्वपुर्ण कार्यो का  आरम्भ  कर सकते है ऐसे ही बसंत पंचमी के दिन वाग्दान, विद्यारंभ, यज्ञोपवीत आदि  संस्कारों व अन्य शुभ कार्यों को कर सकते है /

बसंत पंचमी को बन रहा यह संयोग


इस बसंत पंचमी शुक्ल पक्ष माघ मास को कुछ विशेष  योग  संयोग  भी बन रहा है / क्योंकि वर्षो के बाद तीन ग्रह अपनी  राशि में स्थित होने / जहा गुरुदेव बृहस्पति खुद की धनु राशि में होंगे वही सेनापति मंगल अपनी ही  वृश्चिक राशि में स्थित होंगे / न्याय के देवता शनि देव  मकर में  आ चुके होंगे /
मांगलिक कार्यो के अनुसार या योग व ग्रहो की स्थित बड़ी ही शुभ मानी गई है /

पंचमी तिथि कब है

अलग अलग पंचांगों के अनुसार कुछ में पंचमी तिथि को 29 जनवरी तो कुछ पंचांगों में पंचमी तिथि 30 जनवरी की कही जा रही है / जबकि बुधवार को पंचमी तिथि 10 :46 मिनट पर सुबह शुरू होगी और गुरुवार को  पंचमी तिथि दोपहर 1 :20  मिनट तक ही रहेगी / अतः धर्मसिंधु आदि ग्रंथों के अनुसार यदि चतुर्थी तिथि विद्धा पंचमी होने से शास्त्रोक्त रूप से 29 जनवरी बुधवार को वसंत पंचमी मनाना श्रेष्ठ रहेगा।

सरस्वती पूजन का महत्व

बसंत को ऋतुओ का राजा कहा  है और इस दिन ही ज्ञान और बुद्धि की देवी माँ सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है / इस दिन विशेषकर माँ सरस्वती  और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना कर ज्ञान और बुद्धि के रूप में आशीर्वाद प्राप्त  करते  है / इस मौके पर विशेष कर विद्यार्थी , स्कूल और गायन के क्षेत्र के लोग लेखनी और अपने वाद्य यंत्रो की पूजा आदि करते  है/   
Show quoted text

गुरुवार को करे यह उपाय मिलेगी मनचाही सफलता :

गुरुवार को करे यह उपाय मिलेगी मनचाही सफलता : बच्चे का पढ़ाई में मन न लगता हो  बार बार हो रहा हो फेल तो करे यह उपाय मिलेगी सफलता 
अक्सर यह देखने में आता है की बच्चे का या तो पढ़ाई में मन  नहीं लगता है और लगता भी है तो बार बार फेल हो जाता है। अगर आप भी ऐसी ही समस्या से परेशान तो आसान सा घरेलु उपाय आपकी संतान की इस समस्या को दूर करके सफलता सफलता के दरवाजे खोल देगा।  बस यह छोटा सा उपाय आपके बच्चे को उसकी परीक्षा में सफलता जरूर दिलाएगा।
 आपको बस इतना करना है की आपको की शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार को सूर्यास्त से ठीक आधा घंटा पहले बड़ के पत्ते पर पांच अलग अलग प्रकार की मिठाईया तथा दो छोटी ईलाइची पीपल के पेड़ के नीचे श्रद्धा भाव से रखे दे और अपनी शिक्षा के प्रति कामना करे।  पीछे मुड़कर न देखे और अपने घर आ जाये। इस प्रकार बिना क्रम छूटे यह प्रयोग तीन बार करे। यह उपाय बच्चे अगर बड़े है खुद करे बच्चा अगर छोटा है और नहीं कर सकता तो बच्चे के माता पिता यह उपाय करे लाभ होगा। 

कानपुर के बारे में ये चार बातें आपने पहले नहीं सुनी होंगी ;


REPORT : ASHISH C TRIPATHI 

कानपुर के बारे में ये चार बातें आपने पहले नहीं सुनी होंगी ;

कानपुर यूँ  अपने आप में न जाने कितने ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर को समेटे हुए है। और साथ ही कभी पूरब के मैनचेस्टर के नाम से भी पुकारा जाता था। यहां पर चलने वाली मिलो में एल्गिन मिल, कटान मिल, लाल इमली आदि प्रमुख मिले थी । जिसमे शहर ही नहीं वरन  कानपुर के आस  पास के जिलों से लोग आकर कर काम किया करते थे।  लेकिन समय के साथ लाल फीता साही और फण्ड की कमी की वजह से यह औद्योयोगिक नगरी धीरे धीरे अपनी औद्योगिक  पहचान छोड़ती चली गई। लेकिन  औद्योगिक अंत के साथ यहाँ शिक्षा का हब भी बनता चला गया।  लेकिन कम ही लोग जानते होंगे की कानपुर  के कुछ अनछुए  पहलु  जो आज से पहले आपने  नहीं सुने होंगे।  

  आज इन्ही अनछुई  जानकारियों से आपको रूबरू कराते है :
  
१- कानपुर  का चिड़िया घर भारत के उन चुनिंदा चिड़िया घरो में से एक है जिसे प्राक्रतिक जंगलो से बनाया गया है। 

२- कानपुर  रामायण काल के कुछ यादे समेटे है जिसको सभी बिठूर में मिले कुछ तथ्यों के आधार पर जानते है लेकिन जाजमऊ के टीले की खुदाई में मिले बर्तनो से इस बात की पुख्ता पुष्टि हुई की कानपुर  रामायण काल के समय का है। कार्बन डेटिंग के मुताबिक उन बर्तनों की उम्र रामायण काल के की है।

३- अगर गोल्फ खेलने के शौक़ीन है तो यह जानकर गर्व होगा की कोलकाता के बाद कानपुर में ही 9 होल गोल्फ हाफ कोर्ट स्थित है। 

४- '' इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पल्स रिसर्च '' देश का और कानपुर का अपनी  तरह का पहला इंस्टिट्यूट है जिसे भारतीय संस्थान दाल अनुसंधान केंद्र के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्थापना सं 1983  में इंडियन कौंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च द्वारा की गई थी। जिसे केंद्र सरकार द्वारा संचालित किया जाता है।

आखिर क्यों हुआ कानपुर बॉलीवुड में चर्चित


REPORT BY : ASHISH C TRIPATHI

 आखिर क्यों हुआ कानपुर  बॉलीवुड में चर्चित 

कानपुर  यूँ  तो कभी उत्तर प्रदेश ही नहीं भारत का मैंचेस्टर कहा जाता था लेकिन समय के साथ साथ यहाँ का स्वरुप बदलता गया और आज कानपुर का नाम देश दुनिया में कानपुर के बोली और यहाँ के एरिया (मोहल्लो में )  के नाम से ज्यादा जाने जाना लगा है। आखिर क्या बात है जो कानपुर से लेकर बॉलीवुड तक यहाँ के एरिया चर्चित हो रहे है। क्या खास है यहाँ के एरिया (मोहल्लो में ) के नाम पर आइये जानते। 
कानपुर नगर सीसामऊ, पटकापुर, कुरसवा, जूही और पुराना कानपुर के प्राचीन गांवों से मिलकर ही बनाई गई है। गावों  के अन्तर्गत आने वाली भूमि से ही कानपुर जैसे नगर का निर्माण पर
हुआ और इसी के साथ मोहल्ले भी बनना शुरू हो गए कुछ अपनी विशेषता या उपलब्धि की वजह से पहचाने गए। बाद में  कुछ मोहल्लों के नाम किसी विशेष परिस्थिति के कारण बदलते भी गए।

यहाँ बनी अंग्रेज़ो की पहली छावनी :

1857  के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात नगरों की  जनसंख्या तेजी से बढ़ना शुरू हो गयी थी। इस शहर में अग्रेजों की छावनी स्थापित हो जाने से इसके विस्तार में विशेष सहायता मिली। पहले पहल छावनी जूही में स्थापित हुई, परन्तु वहा असुविधाएं होने  के कारण यह वहां से उठकर गंगा किनारे जाजमऊ से पुराने कानपुर की ओर फैली।  फलस्वरूप विभिन्न फौजी दफ्तरों, बाजारों और पड़ावों के नामों से शहर के अनेक नए मोहल्लों के नाम पड़े। छावनी के प्रमुख मोहल्लों में सदर बाजार, गीता बाजार, लालकुंआ इत्यादि। यहां के दैनिक जीवन से संबंध रखने वाले विभिन्न बाजारों की याद दिलाते है। बाद में लोकमन मोहाल, सीताराम मोहाल, मोती मोहाल,  हरवंश मोहाल, तेलीयाना, मीरपुर आदि बस्तियां भी छावनी में शामिल हुई। 

आज भी अंग्रज़ो की याद दिलाते यह एरिया :

  छावनी की वजह से ही महानगर के डेढ़ दर्जन मोहल्लों के नाम ब्रिटिश हुक्मरानों के नाम पर आज भी पुकार जाते है।  जैसे- अल्बर्ट रोड, ऐलनगंज, कोपरगंज, मेस्टन रोड, मंकर्रावटगंज, हैरिसगंज, वेस्टन रोड, टर्नर रोड, शूटरगंज इत्यादि, यह विडम्बना ही है कि आजादी के 'साठ वर्ष' बीत जाने के बावजूद कई मोहल्लो को आज भी इन्ही नामों से पुकारा जा रहा है। 

आज़ादी के बाद कई एरिया का हुआ नया नामकरण :

अब आजादी के बाद इन मोहल्लों का नया नामकरण करा जा चुका है। आजादी के बाद बिरहाना रोड का नाम कस्तूरबा गांधी मार्ग, लाटूश रोड का सरदार बल्लभ भाई पटेल मार्ग दिया जा चुका है। 1857  तक कानपुर के कुल 71  मोहल्ले थे। जिनमें शहर की आबादी का बढ़ना लगातार जारी है। यहां कुछ प्राचीन एवं नव विकसित मोहल्लो के नामकरण की भी रोचक दास्तां है।

शनि के राशि परिवर्तन के साथ होगा 382 साल बाद यह दुर्लभ संयोग


    Report :Ashish C Tripathi 


    शनि के राशि परिवर्तन के साथ होगा 382 साल बाद यह दुर्लभ संयोग  

    १.शनि के राशि परिवर्तन के साथ 
    २.मिथुन और तुला की ढैया साथ शुरू होगी कुम्भ राशि की  साढ़े साती।  
    ३.आज होगा विचित्र संयोग पृथ्वी चंद्र और शनि होंगे  एक सीध में।   
    ४.ज्योतिषआचार्यों के मुताबिक 7 राशियां होंगी शनि से प्रभावित। 

    कैसे बनेगा दुर्लभ संयोग :

शनि के राशि परिवर्तन कुम्भ से मकर में प्रवेश करते ही एक अज़ब संयोग बनेगा। यूँ तो प्रत्येक ढाई साल में राशि परिवर्तन करते है और ३० साल का एक चक्र पूरा करके पुनः उस राशि पर आ जाते है।  लेकिन इस बार  मकर राशि में शनि के प्रवेश वाले दिन ही मौनीअमवस्या भी है। ऐसा दुर्लभ संयोग 382 साल पहले २६ जनवरी 1637 को बना था और इस बार फिर अर्थात 382 साल बाद फिर वही संयोग बन रहा है।  

अजब संयोग गज़ब खगोलीय घटना : 

शुक्रवार को राशि परिवर्तन के साथ ही एक अज़ब सी खगोलीय घटना घटित होगी। जिसमे पृथ्वी चंद्र और शनि शामिल होंगे। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि शनि के राशि परिवर्तन के साथ शनि जहा शुन्य अंश और अमावस का दिन होने के साथ शनि चंद्र के निकट होंगे और साथ ही चंद्र पृथ्वी के निकट जिससे शनि चंद्र और पृथ्वी तीनो ही ग्रह एक सीध में आ जायेंगे।   

मौनी अमावस्या क्यों है महत्वपूर्ण:  

 यूं तो हर माह अमावस्या की तिथि आती है लेकिन सोमवती अमावस्या, शनैश्चरी अमावस्या और माघ माह में आने वाली मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है।मौनी अमावस्या को सबसे बड़ी अमावस्या माना गया है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान कर अक्षय पुण्यफल की प्राप्त की जा सकती है। जो मनुष्य इस प्रातः काल गंगा, यमुना आदि नदियों में स्नान करके सच्चे मन से दान करता है। उस पर समस्त ग्रह-नक्षत्रों की कृपा बनी रहती है। इस दिन मौन रहने से इंसान को पुण्य लौक की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा की जाती है। पीपल वृक्ष को अर्ध्य देकर परिक्रमा करने और दीप दान करना शुभ माना गया है। जो भी व्यक्ति इस दिन अगर व्रत नहीं रख सकते वह मीठे भोजन का सेवन करें। मौनी अमावस्या जैसे की नाम से ही स्पष्ट होता है, इस दिन मौन रहकर स्नान,दान, व्रत रखना चाहिए। केवल इतना ही नहीं, मौनी अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से पितरों की आत्मा की शांति और उनसे आशीर्वाद भी मिलता है।

मौनी अमावस्या का शास्त्रों में महत्व :

 इस  वर्ष  मौनी अमावस्या 23 जनवरी रात्रि से 25 जनवरी की मध्य रात्रि तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार माघ मास की अमवस्या को मौनी अमवस्या के  नाम से जाना जाता है। इस दिन प्रातः काल में उठ कर स्नान और दान करने का अपना ही महत्व है इससे आध्यात्मिक विकास  होता है।  

इस दिन ही मनु ऋषि का जन्म दिवस भी मनाया जाता है। इस दिन ऋषियीं और पितृ की पूजा  करके सौभाग्य की कामना की जाती है। शनि  देव का जन्म दिन भी अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। शनि देव राशि परिवर्तन भी अमावस्या तिथि को ही कर रहे  हैं। इस कारण  भी यह तिथि  महत्वपूर्ण है। वैसे शनिदेव का जन्मदिन ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को ही मान्य जाता है जो इस वर्ष 22 मई को है। 

मकर राशि में प्रवेश से शनि किसको क्या देंगे :

ज्योतिष आचार्यो के मुताबिक शनि के मकर राशि में प्रवेश करने से जहा सोना चाँदी व पेट्रोल के मूल्यों में वृद्धि होगी वही धर्म और आध्यात्म के क्षेत्र में कार्य करने वालो के रुके हुए कार्य पुरे होंगे। 

कृषि के क्षेत्र में कार्य करने वालो के लिए लाभ होगा उद्योग और धंधो की रुकी हुए कार्य तेज़ी पकड़ेंगे। निर्माण का कार्य करने वाले क्षेत्र मे सुस्ती रह सकती है।   

राजनीती के क्षेत्र में अगर बात करे तो क्षेत्रीय दलों की साख बढ़ेगी। लेकिन राजनितिक पार्टियों मे टकराव व गठबंध में भी टूटने की सम्भावना है। न्याय के कारक शनि देव के मकर राशि में आने से न्याय के क्षत्र में तेज़ी से फैसले होंगे और देश की न्याय व्यवस्था भी सुद्रण होगी।