आज फिर जीने का मन करता है
आज की इस हवा को छुने का मन करता है
कभी इस संघर्ष का अंत करने का मन करता है
हर रोज़ एक नया सवेरा देखने का मन करता है
कभी इस दो तिहाई मन को बाटने का मन करता है
कभी इस नदियों की तरह छलकने का मन करता है ..................
कभी दुनिया का दर्द सहने का मन करता है
कभी अकेले अकेले रोने का मन करता है >>>>>>>>
सपनो से अपने सपने चुराने का मन करता है
कभी कभी इस दुनिया को सपना बनाने का मन करता है
आज फिर वापिस लोटने का मन करता है >....................................
कभी उस धुप को पकड़ने का मन करता है
कभी उस छाव को छुपाने का मन करता है
फिर उस बचपन में जाने का मन करता है >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
फिर दोबारा माँ की लोरी सुन ने का मन करता है
कभी बीते दिन को भूल जाने का मन करता है
कभी कभी मर के भी जीने का मन करता है
आज फिर जीने का मन करता है >>>>>>>>>>>>>>>>>>
दिनेश पारीक
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
bahut hi sunder ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जी , जीना ही सच्चाई है , मरने का सोचना ही क्यूँ
जवाब देंहटाएंचंचल मन... पंछी की तरह उड़ता रहता है, वहाँ पहुँच जाता है...जहाँ अक्सर हम नहीं पहुँच पाते..!
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना !
~सादर!
मन तो द्रुत गामी और चंचल है,उसे एक जगह बांध कर नहीं रख सकते .आपका मन बहुत अच्छा उड़ रहा है .बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंफिर दोबारा माँ की लोरी सुन ने का मन करता है कभी बीते दिन को भूल जाने का मन करता है कभी कभी मर के भी जीने का मन करता है आज फिर जीने का मन करता है >>>>>>>>>>>>>>>>>>
जवाब देंहटाएं......... बहुत सुंदर.......
बहुत सुंदर, सार्थक और आशावादी रचना | इंसान को हमेशा आशावान होना चाहिए |
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट:-
करुण पुकार
जवाब देंहटाएंआइये मेरे नए ब्लाग पर...
http://tvstationlive.blogspot.in/2012/10/blog-post.html
चंचल मन की अनंत कथा ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना... पढ़कर मन प्रसन्न हो गया...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें... कभी आना... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
कुछ काम तो मन का कर ही सकते हैं .... सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंफिर दोबारा माँ की लोरी सुन ने का मन करता है॥
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर, मेरी आँख नम हो गई जी..!
बेह्तरीन अभिव्यक्ति
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