विनती सुनिये हे समाज हमारी
दुविधा में पड़ी हूँ जंजीरो से जकड़ी हूँ
विनती सुनिये हे नाथ हमारी .............................
इस दुविधा की घडी मैं इस अत्याचारों की गली में ...
विनती सुनिये हे कृष्ण मुरारी
भरे मेरे विलोचन नयेना दुख पड़ा है भरी
कु द्रष्टि हो रही है ये तेरी नारी
विनती सुनिये हे ब्रिज बिहारी
पल पल जीती पल पल मरती
पल भर में ही मर मर जाती
किस 2 आँखों से बचूं किस 2 आँखों में खो जाऊं
हर दिन शर्मिंदा होती किस दुनिया में खो जाऊं
इस धरा पर बोझ पड़ा है भारी हे मेरे कृष्ण मुरारी ..... विनती
विनती सुनिये श्री रणछोड़ बिहारी ........ विनती
हर दिन तपती हर दिन खोती इस समाज की मारी
हर दिन मैं ही तो गर्भ में जाती मारी
इस व्यथा को किस तरह सुनाऊ हें ब्रज बिहारी
च्चकी के पाटों में मैं पिसती
हर बिस्तर पर में ही जलती
हर चोराहों पर में नंगी होती
हर मंदिर में मैं ही पूजी जाती
फिर में ही बलि के लिए उतारी जाती
हर पल द्रोपती मुझे ही बनाई जाती
अर्ज सुनिये हे गोपाल हमारी .......... विनती सुनिये हे नाथ हमारी
दिनेश पारीक
कौन सुनेगा...? यहां तो गोपालों का चरित्र भी यही रहा है? आराध्य बना कर सब कुछ खत्म कर दिया...
जवाब देंहटाएंबहुत गंभीर रचना।
bahut sarthak post , gambhir vicharo ki prastuti ki hai aapne , badhai
हटाएंआपका बहुत आभार
हटाएंbahut hi gambhir prastuti
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक.
जवाब देंहटाएंSunder Rachna
जवाब देंहटाएंआपका बहुत आभार
हटाएंउम्दा और विचारणीय रचना | आभार
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंपीड़ा सुनकर शायद मुरारी एकबार फिर आजाये
जवाब देंहटाएंlatest postअहम् का गुलाम (दूसरा भाग )
latest postमहाशिव रात्रि
शायद भगवान ऐसी गुहार सुनकर कुछ चमत्कार दिखा सके. अब यही उम्मीद बाकी है...
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति.
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति,आभार.महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक रचना !!
जवाब देंहटाएंआभार !!
क्या होगा यहां..इस समाज का..एक आस बनी रहे बस...सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंPrabhu ke charnopn mein binti hai ... par prabhu kya karenge jab pooraa samaaj hi aisa ho jaayega ...
जवाब देंहटाएंहर बिस्तर पर में ही जलती
जवाब देंहटाएंहर चोराहों पर में नंगी होती
नंगा सच्च !!
sarthak, samayanusar rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
dwapar jaisi trasad sthiti, hazaro draupdiyaan krishna ke intzaar main, samvedansheel hain aapke post
जवाब देंहटाएंbahut sahi kaha aapne
जवाब देंहटाएंsatya vachan bandhu...jai shri krishna!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ........
जवाब देंहटाएंमन के भावों को उजागर करती रचना
जवाब देंहटाएंनारी पीड़ा को दर्शाती ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना ...
महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ !
bhawpoorn rachna.....
जवाब देंहटाएंपारीक साहब ,
जवाब देंहटाएंआधी आबादी के त्रासद हालात पर आपकी चिंतायें सहज और स्वाभाविक हैं ! आज का समाज जिस तरह से निष्ठुर / निर्मम हो बैठा है ,उसपर , नि:संदेह ईश्वर ही एक मात्र सहारा शेष रह गया है !
सकारात्मक सोच वाली कविता के लिए आपको धन्यवाद !
बहुत सही लिखा है |पर सच तो यह है की विनती कोई सुन कर भी अनसुनी कर देता है |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुंदर लिखा है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति... बधाई
जवाब देंहटाएंहर दिन मैं ही तो गर्भ में जाती मारी
जवाब देंहटाएंइस व्यथा को किस तरह सुनाऊ हें ब्रज बिहारी ........bahut hi marmik........
हर दिन तपती हर दिन खोती इस समाज की मारी
जवाब देंहटाएंहर दिन मैं ही तो गर्भ में जाती मारी
इस व्यथा को किस तरह सुनाऊ हें ब्रज बिहारी
च्चकी के पाटों में मैं पिसती
हर बिस्तर पर में ही जलती
हर चोराहों पर में नंगी होती
हर मंदिर में मैं ही पूजी जाती ..............nice...........nice...........
महाशिव रात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंbehtareen
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंभावनाओं का बखूबी समावेश हुआ है!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति l बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना मित्रवर
जवाब देंहटाएंमन को छूती पोस्ट ...
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक रचना..
जवाब देंहटाएंमार्मिक भाव .....बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंऊपर वाला कभी न कभी सबकी अर्ज सुनता जरुर हैं ...बस कुछ की जल्दी तो कुछ की देर से सुनी जाती हैं. इसी का मलाल रहता है सबको . ..
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ..
उम्दा गुहार है !
जवाब देंहटाएंप्रासंगिक सन्दर्भों में उत्कृष्ट भावपूर्ण मार्मिक रचना .
जवाब देंहटाएंआज के परिवेश में ऐसी ही प्रार्थनाओं के साकार होने की प्रतीक्षा की जा सकती है ...बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंविनती सुनिये हे नाथ हमारी
जवाब देंहटाएंचारो तरफ से ऐसी विनतीया अर्जिया सुनकर बेचारे वे भी थक चुके होंगे !
दिल को छू लेने वाली रचना !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !!
बहुत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुतिकरण एक गहरे अर्थ के साथ, विषयपरक-----बधाई
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों----आग्रह है
jyoti-khare.blogspot.in
सुन्दर प्रस्तुति .बहुत खूब,
जवाब देंहटाएंनारी पीड़ा का सटीक वर्णन लेकिन समाधान कुछ नहीं निकल रहा ...........
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हटाएंआपका बहुत आभार
क्या करे इस समाधान को खोजते खोजते तो ये हालत बन गए हैं
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंatiutam-***
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंAppropriate comment and beautiful creation!
जवाब देंहटाएंकोई चारा है नहीं, बेचारा गोपाल |
जवाब देंहटाएंगोकुल से कब का गया, गोपी कुल बेहाल |
गोपी कुल बेहाल, पञ्च कन्या पांचाली |
बढ़ा बढ़ा के चीर, बचाया उसको खाली |
वंशी भी बेचैन, ताल सुर वाणी खोई |
खुद बन दुर्गा शक्ति, नहीं आयेगा कोई ||
बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंआभार !
marmik rachna...par sach tho fir bhi sach hi hai ki koi nahi sunne wala...khud hi pehel karni hogi
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव।
जवाब देंहटाएंविनती ही कर रही है नारी .............. भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।।।
जवाब देंहटाएंसमसामयिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएं.....................................
मेरी रचनाओ पर भी आप सभी का ध्यान चाहूँगा हो
http://krantipath.wordpress.com/
कृपया मार्गदर्शन करें
Saral shabdon men badi baat kah di aapne. Badhayi.
जवाब देंहटाएंShayad ye apko pasand aayen- Periwinkle flower information , Green revolution in India advantages and disadvantages
ati sunder rachna
जवाब देंहटाएंYou may like - Build a Micro Niche Blog for Earning $200/Month from AdSense
अगर आपके भीतर बच्चों जैसा दिल है, तो फिर डायबिटीज आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती।
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