रविवार, 13 फ़रवरी 2011

द्वारकाधीश मंदिर से नीलम की मूर्ति चोरी


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रोहिड़ा (सिरोही)। स्थानीय द्वारकाधीश मंदिर से शुक्रवार रात चोर करीब एक हजार साल पुरानी नीलम के पत्थर से बनी मूर्ति और चांदी की पांच अन्य प्रतिमाएं चोरी कर ले गए। नीलम के पत्थर से बनी भगवान द्वारकाधीश की मूर्ति की अनुमानित कीमत दो करोड़ रूपए बताई गई है।

वैष्णव सम्प्रदाय के राजगुरूद्वारा पैलेस रोड सिरोही निवासी महंत सीताराम महाराज ने पुलिस को दी रिपोर्ट में बताया कि उनके अखाडे के अधीन रोहिड़ा के द्वारकाधीश मंदिर में मरड़ी अखाड़ा हिमाचल प्रदेश निवासी भजनगिरी को पूजा के लिए करीब डेढ़ माह से रखा हुआ था। शनिवार सुबह 6 बजे भजनगिरी ने सूचना दी कि शनिवार सुबह जब वह उठा तो उसके कमरे के बाहर से कुंडी लगी थी।

खिड़की से देखा तो मंदिर के ताले टूटे हुए थे। मंदिर के अंदर से भगवान द्वारकाधीश की नीलम की मूर्ति व पास रखी चांदी की पांच गाय, भगवान के पहने हुए चांदी के दो कंगन व चांदी की बांसुरी गायब थी। भगवान द्वारकाधीश के पास लगी हुई रूकमणि व राधा की पीतल की मूर्तियां व सालिग्राम की मूर्तियां उखाड़ कर फेंकी हुई थीं।

डॉग स्क्वायड की मदद
मौके पर डॉग स्क्वायड को लाया गया। एफएसएल टीम ने जूतों के प्रिंट लिए। कुछ देर बाद आबूपर्वत पुलिस उप अधीक्षक पन्नालाल मीणा मौके पर पहुंचे। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

मेरी कविताओं का संग्रह: चोरोंसे मंदिरोंकी रक्षा न कर सकनेवाले हिंदुओंकी रक...

मेरी कविताओं का संग्रह: चोरोंसे मंदिरोंकी रक्षा न कर सकनेवाले हिंदुओंकी रक...: "महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवाके पश्चात् अब उत्तरप्रदेशमें भी हिंदुओंके मंदिरोंमें चोरियां होने लगी हैं । ऐसी घटनाएं कभी गिरिजाघर अथवा मस्जिदमें..."

रूठी तनहाईयों में दर्द की बाहों मे सिमटे

रूठी तनहाईयों में
दर्द की बाहों मे सिमटे
कही मंज़िल हम तलाश रहे है
लबो पे तीखी शराब है बरसे
हम नशे मे झूम रहे है

क्या कहेती है तू ज़िंदगी
सब सहेती है तू ज़िंदगी
थम थम के चलती है
ये धड़काने
हम अचम्भीत है की
ये रुकती क्यू नही
कही हमने ज़ायदा
तो नही पे ली है

आंखों से छलकते
है अँगरे
एह आँखें सदा के लिए
बंद होती क्यो नही
हम जी रहे है बिना सहारे
कही यही तो जीना नही
इस जाम से लगता है
दर्द हलखे हो रहे है

वो कहेते है
इतनी पिया ना कहो
घुट घुट के यूह
जिया ना करो
हमसे बर्दास्त नही
होती ये बेवफ़ाई
पीते रहेंगे तो
जीते रहेंगे
खुद को पल पल
दिलासे दे रहे

इतनी बड़ी धरती हमारी और छोटे से हम

earth

इतनी बड़ी धरती हमारी
और छोटे से हम

मानव, मींन. पशु, और पतिंगे
लाखो जीवों का यह घर;
धरती पर, धरती के नीचे,
कुछ रहते धरती की उपर,
सब मे जीवन, सब है बराबर,
नही है कोई कम|
इतने बड़ी धरती हमारी
और छोटे से हम|

रंग-बिरंगे, पर, पकांगे,
माघ, गगन पंछी मंडराते;
दाने दो ही चुगते लकिन
मीठे, लंबे गीत सुनते;
डगमग चलते, नाचा करते
खुश रहते हेर दम|
इतनी बड़ी धरती हुमारी
और छोटे से हम|

कई, घास, पौधे नन्हे,
जीवन रक्षक वृक्ष हुमारे;
रोटी. दल, सब्ज़ी, फल
आनोंदो के श्रोत हुमारे;
जब तक भूमि हरी रहेगी
स्वस्थ रहेंगे हम|
इतने बरी धरती हुमारी
और छोटे से हम|


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मेरी कविताओं का संग्रह: भजन

मेरी कविताओं का संग्रह: भजन

सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

वो लडकी पागल सी


वो लडकी पागल सी




किस पर यकीं करूं, मुझे
हर बात हकीकत लगती है
वो लडकी मुझको पागल सी
मेरी मोहब्‍बत लगती है


कुछ लोग उसे कहते हैं कातिल
कुछ जहां से बेगाना
इस शहर में मुझको सबसे
उसकी अदावत लगती है



वो चांद नहीं है, फूल नहीं है
नहीं-नहीं कुछ और है वो
जब जब घर से निकले वो
फिर एक कयामत लगती है



वो न कहे तो न कहे, पर
मुझको ये भी मालूम है
झुकी झुकी सी नजरों में
बस मेरी चाहत लगती है। 



आइए, मेरी बनके खुशी आइए

आइए, मेरी बनके खुशी,  आइए
मैं करूं आपकी बंदगी, आइए
आप खुद को न मुझसे जुदा होने दें
ख्‍वाबों की बज्‍म है सजी, आइए


है अंधेरा बहुत मेरे घर में सुनो
बन के आप शमां-रोशनी, आइए
मैं करूं इंतजार और कितना अभी
आना है तो क्‍यों न अभी आइए


मैं हूं आपका, गर है कोई शक
नाम की आपके जिंदगी आइए
हर लम्‍हा रहे बस साथ आपका
ऐसी होके कभी मेरी आइए



मैं  


गिरता हूं, उठता हूं फिर चल पडता हूं मैं
जाने किसकी तलाश में निकल पडता हूं मैं।
मेरे दिल में जुनून है और ख्‍वाब चश्‍म में
हर ठोकर पर और भी संभल पडता हूं मैं।।


न जाने कितनी मंजिलें पा चुका हूं मैं
एक और नई मंजिल पर आ चुका हूं मैं।
ये तश्‍नगी मेरी क्‍यों बुझना नहीं चाहती
ये रफतार मेरी क्‍यों रुकना नहीं चाहती।।


क्‍यों रुकूं मैं जब, सब रफतार में यहां
मेरे बाद और भी कई कतार में यहां।
मैं बढूंगा, लोग बढेंगे, परिवेश बढेगा
मेरा गांव, मेरे लोग, मेरा देश बढेगा।।


एहसास के बादल गरज़े हैं सावन की सुलगती रात

एहसास के बादल गरज़े हैं सावन की सुलगती रात में मिलेंगे दो दिल  झूम - झूम के  इश्क़ की बरसात में


कदम-कदम पे खौफ का साया, डर-डर के जीते हैं लोग
क्या होगा हमारे देश का  इस  नाजुक  हालात में


कौन हो तुम   ऐ अजनबी, क्या तुमसे मेरा वास्ता
लग रहे  हो  क्यूँ  अपने  से  एक ही  मुलाक़ात में


सजना तेरे नाम  की  मेंहदी  हमने  सजाई हाथों में
गूंज उठी है  शहनाई - सी  ख़्वाबों  की  बारात में


क्या सोच के   तुम यहाँ  आये थे खाली  हाथ  "अशोक"
हर चीज़ की कीमत होती है, कुछ मिलता नहीं खैरात में


 ----  शायर  " रजनी  शर्मा  

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

यादों ने आज


यादों ने आज’
यादों ने आज फिर मेरा दामन भिगो दिया
दिल का कुसूर था मगर आँखों ने रो दिया
मुझको नसीब था कभी सोहबत का सिलसिला
लेकिन मेरा नसीब कि उसको भी खो दिया
उनकी निगाह की कभी बारिश जो हो गई
मन में जमी जो मैल थी उसको भी धो दिया
गुल की तलाश में कभी गुलशन में जब गया
खुशबू ने मेरे पाँव में काँटा चुभो दिया
सोचा कि नाव है तो फिर मँझधार कुछ नहीं
लेकिन समय की मार ने मुझको डुबो दिया
दोस्तों वफ़ा के नाम पर अरमाँ जो लुट गए
मुझको सुकून है मगर लोगों ने रो दिया

याद बहुत आता है

हर पल मुझको अपना बचपन, याद बहुत आता है
कुछ देर को तो मन हंसता है, फिर जाने टूट क्‍यों जाता है
क्‍या हो जाता कुदरत को, यदि सच मेरा वो सपना होता
चाहत थी जिस बचपन की, काश मेरा वो अपना होता
नन्‍हीं सी मुस्‍कान देख जब, पापा का चेहरा खिल जाता
उन तोतले शब्‍दों में जब, मम्‍मी का मन खो जाता
भैया की अंगुली को थामे, जब मैंने चलना सीखा
पथरीली राहों पर जब, गिर-गिरकर फिर उठना सीखा
तूफानों के बीच घिरा, सदा अकेला खुद को पाया
कहने को सब साथ थे, पर नहीं साथ था अपना साया
याद नहीं वो सारी बातें, बस कुछ हैं भूली-बिसरी यादें
यादों के वो सारे पल, अब तक मेरे पास है
इतने सालों बाद भी, वो ही सबसे खास है
कुछ पंखुडियों के रंग है, कुछ कलियों की मुस्‍कान है
कुछ कागज की नावें हैं, कुछ रेतों के मकान है
कुछ आशाओं के दीप है, कुछ बचपन के मीत है
कुछ बिना राग के गीत हैं, कुछ अनजानों की प्रीत है
कुछ टूटे दिल के टुकड़े हैं, कुछ मुरझाए से मुखड़े हैं
कुछ अपनों के दर्द है, कुछ चोटों के निशान हैं
मेरे प्‍यारे बचपन की, बस इतनी सी पहचान है
मेरे प्‍यारे बचपन की, बस इतनी सी पहचान है।

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

चोरोंसे मंदिरोंकी रक्षा न कर सकनेवाले हिंदुओंकी रक्षा देवता क्यों करें ?

महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवाके पश्चात् अब उत्तरप्रदेशमें भी हिंदुओंके मंदिरोंमें चोरियां होने लगी हैं । ऐसी घटनाएं कभी गिरिजाघर अथवा मस्जिदमें नहीं होतीं ! हिंदुओंके असंगठित और मृतवत् होनेके कारण ही पुलिस निष्क्रिय रहते हैं और ऐसी घटनाएं होती ही रहती हैं ! ये सर्व घटनाएं देखनेपर स्पष्ट होता है कि, सर्व दलोंके शासक हिंदुओंकी धार्मिक भावनाओंके प्रति कितने उदासीन हैं । हिंदुओ, यह स्थिति सुधारनेके लिए संगठित हों और धर्मरक्षण कर ईश्वरीय कृपाके पात्र बनें ! - संपादक

भदोही (उत्तरप्रदेश) के राधाकृष्ण मंदिरमें १६ कोटि रुपए मूल्यकी मूर्ति चोरी

भदोही (उत्तरप्रदेश) - गोपालगंज क्षेत्रमें लगभग २०० वर्ष पूर्वके राधाकृष्ण मंदिरसे दस इंच ऊंची और आठ किलोकी मूर्तिकी चोरी हुई । अंतर्राष्ट्रीय बाजारमें लगभग १६ कोटि रुपए मूल्यकी अष्टधातुकी तीन मूर्तियां चुराई जानेसे खलबली मच गई है । लगभग १५ दिनपूर्व अज्ञात लोगोंने दानपेटी चुराई थी । तत्पश्चात् मूर्ति चोरीकी यह दूसरी घटना हुई ।
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कर्नाटकमें दो मंदिरोंमें लाखों रुपयोंकी चोरी
वेंâजरू (कर्नाटक) - कर्नाटक राज्यके दक्षिण कन्नड जनपदमें स्थित वेंâजरू और बजपेके दो मंदिरोंमें ८ जनवरीको अज्ञात हिंदुद्वेषियोंने चोरी की । वेंâजरू स्थित मंदिरमें चोरोंने मल-मूत्र विसर्जन किया । इस घटनाके कुछ ही क्षणोंके पश्चात् पुलिस अधिकारी और मंदिरके न्यासियोंके भ्रमणभाषयंत्र (मोबाइल)पर विदेशसे अज्ञात लोगोंने छूटे कॉल (मिस्सड कॉल) भेजे । बजपे गांवमें भी मंदिरकी मूर्तिका भंजन किया गया ।
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तुमकूर (कर्नाटक) स्थित कोप्पूरू मठमें आभूषणोंकी चोरी
तुमकूर (कर्नाटक) - तुमकूर जिलेके चिक्कनायकनहल्ली तहसीलके सुप्रसिद्ध क्षेत्र कोप्पूरू श्री मरुळ सिद्धेश्वर मठके मंदिरोंसे १५ किलोग्र्राम चांदीके आभूषण और दानपेटी चोरोंने लूटी ।
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गोवामें श्री भुईपाल रवळनाथ मंदिरकी दानपेटी तोडकर १५ सहस्र रुपयोंकी चोरी
वाळपई (गोवा) - राज्यके मंदिरोंमें बढ रही चोरियां रोकनेमें शासन एवं पुलिसकी निष्क्रियता एकबार पुनः सिद्ध हुई है । उत्तर गोवामें वाळपईके श्री भुईपाल रवळनाथ मंदिरमें ३१ दिसंबरकी रात्रिमें चोरी हुई । मंदिरकी दानपेटी तोडकर १५ सहस्र रुपए चुरा लिए गए ।
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माजगांव (सिंधुदुर्ग, महाराष्ट्र ) के दत्त मंदिरमें दिनदहाडे चोरी !
सावंतवाडी (सिंधुदुर्ग, महाराष्ट्र) - सावंतवाडी तहसीलके माजगांवमें दत्त मंदिरकी दानपेटीको तोडकर दिनदहाडे उसमें रखा धन चुराए जानेकी घटना २९ दिसंबरको हुई ।
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नाशिकमें श्री कालिकादेवीके मंदिरमें हीरोंका हार एवं कर्णफूलकी चोरी
नाशिक (महाराष्ट्र) - यहांके सुप्रसिद्ध श्री कालिका देवीके मंदिरमें श्री सरस्वती, श्री लक्ष्मी तथा श्री कालिका देवीकी मूर्तियां हैं । चोरोंने इन तीनों देवियोंकी मूर्तिपर चढे हुए मंगलोरी हीरेके हार एवं कर्णफूल चुराए ।
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बांग्लादेशके ढाकेश्वरी मंदिरमें करोडोंके आभूषणोंकी चोरी
ढाका (बांग्लादेश) - यहांके सुप्रसिद्ध ढाकेश्वरी मंदिरसे देवीका २०० तोलेका आभूषण चोरी हो गया ।
(बांग्लादेशके इस मंदिरसे किसने चोरी की होगी, यह कहनेकी आवश्यकता नहीं । भारतमें अनेक स्थानोंपर हो रहे मूर्तिभंजन और मंदिरोंसे चोरियोंके विषयमें कुछ न करनेवाला वेंâद्रशासन बांग्लादेशके मंदिरोंमें चोरी होनेपर विरोध भी वैâसे व्यक्त करेगा ? अब हिंदुओंको ही संगठित होकर इस विषयमें आवाज उठानी होगी ! - संपादक)
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उडुपी जनपदके ब्रह्मी दुर्गापरमेश्वरी मंदिरमें २० लाख रुपयोंकी चोरी
कुंडापुर (कर्नाटक) - उडुपी जनपदमें स्थित कमलाशीलके प्रसिद्ध एवं प्राचीन दुर्गा परमेश्वरी मंदिरमें अज्ञात चोरोंने २० लाख रुपयोंके आभूषण और पैसे चुराए ।
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गोवाके श्री शांतादुर्गा किटलकरीण मंदिरसे २० लाख रुपए मूल्यके आभूषणोंकी चोरी
मडगांव (गोवा) - फातर्पा गांवमें श्री शांतादुर्गा किटलकरीण मंदिरसे रात्रिमें चोरोंने सोने-चांदीके आभूषण, प्रभामंडल आदि कुल मिलाकर २० लाखसे भी अधिक मूल्यके आभूषण चुराए । गोवामें गत १५ मासमें ६० मंदिरोंमें चोरियां हुई हैं । इनमें एक-दो घटनाओंमें ही आरक्षकोंने चोरोंको पकडा है ।
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सिंधुदुर्ग (महाराष्ट्र) के दो मंदिरोंमें चोरी
वेंगुर्ले (सिंधुदुर्ग ) - यहांके उभादांडा गावमें ऊपरी माडवाडीमें स्थित श्री वाटोबा मंदिर और उसी परिसरमें स्थित मुठ गांवके श्री केपादेवी मंदिरमें अर्पण पेटी तोडकर चोरी की गई । यह घटना दिनमें ही प्रातः ९ से दोपहर २ बजेके मध्य हुई ।
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सोलापुर (महाराष्ट्र) के श्री महालक्ष्मी मंदिरमें चांदीकी चोरी !
माळशिरस (सोलापुर, महाराष्ट्र) - श्री क्षेत्र वीरके श्री महालक्ष्मी मंदिरमें १ लक्ष १५ सहस्र रुपयोंकी चांदीकी चोरी हुई । मंदिरमें रखा ३.५ किलोका चांदीका प्रभामंडल चोर लूट ले गए ।
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रांजणी (पुणे, महाराष्ट्र ) में नरसिंह भगवानकी मूर्तिकी सोनेके नेत्रोंकी चोरी
रांजणी (जनपद पुणे) - पुणेके आंबेगाव तालुकाके श्रीक्षेत्र रांजणीमें नरसिंहके मंदिरमें मूर्तिकी सोनेके नेत्रोंकी चोरी और दानपेटीमेंसे १० सहस्र रुपयोंकी चोरी हुई । २३१ वर्ष प्राचीन नेत्रोंका वजन ५ तोला है ।