मत कहो कि हार गई .....कितनों का ज़मीर जिंदा कर गई !!!
सलाम है उसे
कुछ गलत हरकत की है आपके साथ आप इस लायक ही हो तब तो एक तो 39 साल से बम्बई के अस्पताल मैं गम सुम पड़ी है और एक दामिनी आज माँ को गोद मैं समां गई और कल किसी और की बहु बेटी
समां जाएगी आप एक ही काम कर सकते हो हाथ मैं मोमबती लेकर मरने वाली बेटी बहु के लिए दुआ और अत्मा की के लिए प्राथना अब बस भी करो और घर से निकल के इस सरकार के कपडे खोल दो अपना दुर्गा रूप दिखा दो कहने को तुम दुर्गा नहीं हो हम देखना चाहते हैं इस दुर्गा रूप को इस इन्टरनेट की और फसबूकिया दुनिया से बहार निकल के कुछ बोलो
ये नेता और उनके सु पुत्र बयानबाजी करते हैं क्या हम लोग मर गए हैं क्या नेता किसी दूसरी फेक्टरी मैं बनते हैं क्या वो भी हम लोगो ने बनाये हैं वो बोल सकते हैं खुले आम तो हम लोग चुप क्यूँ है
सिर्फ क्या हम लोग 2 दिन हल ही कर सकते हैं क्यूँ नहीं हम लोगो ने उस दामिनी को हिंद्स्तान से बाहर इलाज़ के लिए भेजा आज उस दामिनी की राख आ रही हैं उस राख का तिलक करके कसम खाओ की अब और नहीं
दामिनी सिर्फ दो स्थति में ही बच सकती थी- अगर डॉक्टर भगवान होते या हमारे नेता इंसान होते!! वो दोनों ही इस हिन्दुस्तान मैं नहीं हैं तो हमारी दुआ भी कहा काम करती
अब भी तो हम सब के मुह से ये निकला ता है की प्रयास और प्रयास
और इस सरकार को ही देख लो की इस साल इस ने क्या है बलात्कार पीड़ितों के लिए
बलात्कार पीड़ितों को इंसाफ और मदद दिलाने के लिए यूं तो सरकार और कानून दोनों ही नये नयी स्कीम और योजनाएं शुरू कर देते हैं. लेकिन जमीनी सच्चाई ये है कि ये सिर्फ योजनाओं के नाम पर एक भद्दा मजाक ही साबित होती हैं जो बलात्कार पीड़ित के दर्द को और बढ़ा देती है.
अपराध या ज्यादती के शिकार पीड़ितों को मुआवजे के लिए सरकार ने लीगल सर्विस अथॉरिटी तो बना दी. लेकिन इस साल सिर्फ चार पीड़ितों को 12 लाख का मुआवजा मिल सका जबकि इस साल रेप के 635 मामले दर्ज हुए. लीगल सर्विस अथॉरिटी रेप, तेज़ाब, अपहरण और बाल उत्पीड़न के शिकारों के लिए बनाई गई. सरकार ने इस स्कीम के लिए 15 करोड़ की राशि भी तय कर दी. लेकिन ये रकम पीड़ितों तक नहीं पहुंच पा रही.अध्यक्ष, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बरखा सिंह ने कहा, 'पहले ज्यादा अच्छी व्यव्स्था थी. उसको अपने इलाज के लिए कुछ पैसे की व्यवस्था हो जाती थी.'
जाहिर है पीड़ितों को मुआवजा मिलना और मुश्किल हो गया है. ऐसे पीड़ितों को इलाज और कानूनी लड़ाई का खर्चा भी खुद ही उठाना पड़ रहा है.
अपराध या ज्यादती के शिकार पीड़ितों को मुआवजे के लिए सरकार ने लीगल सर्विस अथॉरिटी तो बना दी. लेकिन इस साल सिर्फ चार पीड़ितों को 12 लाख का मुआवजा मिल सका जबकि इस साल रेप के 635 मामले दर्ज हुए. लीगल सर्विस अथॉरिटी रेप, तेज़ाब, अपहरण और बाल उत्पीड़न के शिकारों के लिए बनाई गई. सरकार ने इस स्कीम के लिए 15 करोड़ की राशि भी तय कर दी. लेकिन ये रकम पीड़ितों तक नहीं पहुंच पा रही.अध्यक्ष, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बरखा सिंह ने कहा, 'पहले ज्यादा अच्छी व्यव्स्था थी. उसको अपने इलाज के लिए कुछ पैसे की व्यवस्था हो जाती थी.'
जाहिर है पीड़ितों को मुआवजा मिलना और मुश्किल हो गया है. ऐसे पीड़ितों को इलाज और कानूनी लड़ाई का खर्चा भी खुद ही उठाना पड़ रहा है.