बुधवार, 19 सितंबर 2012

मनहूस


मुझे तो  लोगो  ने  मनहूस  करार  दे दिया
मुझे तो अपनों ने सदाचार से दुराचार दे दिया
वहा भटक भी जाता मैं  जिन गलियों मैं वो थे
वहा रूक भी जाता मैं जी गलियों मैं वो थे |
हम तो उस दिन भी मोहबब्त करने गए थे
जिस दिन उन होने मुझे मुझे बे वफ़ा करार देदिया ||
मनहूस तो सायद था  ही में
मनहूस ही जन्मा  था मैं
तभी तो आपने मुझे कन्यादान का पुकार देदिया ....
मोहबब्त के कीड़े  मर गए दिल ही दिल में
 दीवाना बे मोहबब्त किये  मशहूर हो गया
जहाँ दिन के उजालों में  खुला प्यार चलता हो
वहा उनकी शादी  देखने को भी मैं मजबूर हो गया
 किस को पुकारू में लोगो ने चार कन्धा दे दिया
बारिश ने भी साथ न दिया  फिर मिटटी के  हवाले कर दिया
मुझे तो  लोगो  ने  मनहूस  करार  दे दिया
दिनेश पारीक

22 टिप्‍पणियां:

  1. मुहब्बत में ठुकराए जाने पे ऐसा सोचना उचित नहीं ... मुहब्बत करते रहें ... वो अपना हजी लिंगे एक दिन ...

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    गणेशचतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  3. दिल को छू गई ये पंक्तियाँ

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  4. प्यार में अक्सर ऐसा ही होता है.

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  5. logon ka kam hai kahna ....apna aatmvishwas bnaye rakhna hai ...

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  6. आपको हिंदी लिखने में बहुत अधिक सुधार की जरुरत हैं,खास कर मात्रों में ...जैसे वहाँ ..लिखना चाहिए और आपने वहा लिखा है ....इस ओर भी ध्यान दे ....आभार

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  7. बहुत ही बढ़िया । मेरे नए पोस्ट समय सरगम पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद।

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  8. मर्मस्पर्शी कविता -अतिसुंदर

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  9. बहुत अच्छी कविता !

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  10. संवेदनाएँ इस मोहब्बत के लिये. बधाई सुंदर कविता के लिये.

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  11. बहुत ही सुंदर रचना है , बधाई |

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  12. दिल के दर्द को बखूबी से बयाँ किया है बढ़िया प्रस्तुति

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  13. और भी ग़म हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा,........किन्तु .कविता अपनी बात कह रही है..

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  14. मनहूस तो सायद था ही में
    मनहूस ही जन्मा था मैं
    तभी तो आपने मुझे कन्यादान का पुकार देदिया ...

    really nice.

    meri post KYUN??? swalon ke kuch silsile. jarur padiyega.

    http://udaari.blogspot.in

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