कोन सुनेगा मेरा दर्द |
टिका कर रखती है
पृथिवी हमें और कंपाती भी,
है जल धरा
के बरसनेपर
बरसता गगन से
जल और अग्नि, पवन देता ठिठुरन
और चक्रवात
सब कितनी सहजता
से हो जाता है
कभी हम भी वशीभूत हो जाते है
इस धरा पर
फूलो के महकने
से लेकर
मुरझाने तक
सहना
पानी बरसने से
लेकर
सूखने तक सहना
पेड़ो के अकुर
फूटने से लेकर
पेड़ बनते देखना
फिर उसी पेड़ को
कटने देखना
और अपने ही अंग
को अपने ही बेटे की चिता
के साथ दोनों के जलते देखना
क्या इस पृथिवी के लिए इतना सहज है
सहज ये सहज शब्द
ही हम कितनी सहज
से उपयोग मैं ले लेते
है
कभी ये सहज शब्द
माँ बहिन बेटी
अर्धांगिनी के लिए हम
बड़ी आसानी
से उपयोग मैं लाते हैं
कभी नहीं सोचते
की वो इस दर्द
भरे शब्द को सुनकर
क्या सहज महसूस
करती है
वो भी तो हमारे
लिए एक धरा है
उसी के अंग से हमारे
अंग है
पता नही नहीं कब तक ये सहज
शब्द
वो सह सकेगी
ये भी तो द्रोपती ही है
कब ये द्रोपती बन
जाये फिर
एक महाभारत हो जाये
महाभारत
होता है जीवन
हर किसी का भीतर भी,
बाहर भी बैठे हैं नकृष्ण
सबके भीतर,
कह रहे गीता
सबको अपनी-अपनी
सुन सकते हो इसको तुम भी
अर्जुन बनकर।
बहुत ही सुन्दर रचना की प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति दिनेश जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावप्रणव प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआभार आपका -
सुंदर प्रस्तुति .....सजीव रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना .....बहुत भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंब्लॉग की मुलाक़ात के लिए शुक्रिया
बेहद भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: पिता.
आभार, अभिनन्दन है आपका, पुनः यहाँ मिलते रहिये।
हटाएंbadiya
जवाब देंहटाएंआभार, अभिनन्दन है आपका, पुनः यहाँ मिलते रहिये।
हटाएंye to hame hi samajhna hoga .vicharniy भावनात्मक प्रस्तुति . आभार छोटी मोटी मांगे न कर , अब राज्य इसे बनवाएँगे .” आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
जवाब देंहटाएंbahut sundar prastuti bhai
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संदेशपरक रचना
जवाब देंहटाएंप्रकृति के दर्द की सही अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंआभार, अभिनन्दन है आपका, पुनः यहाँ मिलते रहिये।
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंएक गहरी सोच !
आभार !
आपने बहुत सहजता से दर्द को रेखांकित किया। बधाई!
जवाब देंहटाएंगहरी अभिव्यक्ति..... बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंगहरा अर्थ लिए ... अच्छी रचना ...
जवाब देंहटाएंउम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंगंबीर भावों से ओतप्रोत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेह्तरीन अभिव्यक्ति !शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव !!
जवाब देंहटाएंsundar
जवाब देंहटाएंसुन्दर
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