शनिवार, 18 मई 2013

मुसाफिर हैं हम



मुसाफिर  हैं हम  मुसाफिर  हो तुम भी 
कही न कही  फिर किसी मोड़  पर मुलाकात होगी 
बे नाम  मुसफ़िर हूँ  बे- नाम सफर  है मेरा 
फिर न जाने  किस रोज़  मिलने  की शोगात होगी 
किस दिन कहा  निकल  जाऊं  कह नहीं सकता 
जिस दिन तुम कहो मुझे मिलने को 
क्या पता उस दिन में कही मिल  नहीं सकता 
बे-नाम  मेरी जिंदगी  बे-नाम ठिकाना है 
किस दर पर में रुक जाऊं कुछ कह नहीं सकता 
बस तेरी एक मुलाकात  भी मेरी जिंदगी  की शोगत  होगी 
कसम  है मेरी  मोहबत  की फिर ना  कहूँगा 
की आप  से एक और  मुलाकात होगी 
तिनके की तरह  बह  जाऊंगा  आपकी यादों में 
समदर में  मिल जाऊँगा यादों  के किनारे  लग जाऊँगा 
मिल जायेगीं ताबीर  मेरे  ख्वाबों  की एक दिन 
ये ख्वाब  कब बिखर  जाये कुछ कह नहीं सकता 
कब  दिन निकले  कब श्याम  होगी 
कब तुम से में मिलु कब जिन्दगी आपके  नाम होगी 
दिनेश पारीक 

शनिवार, 11 मई 2013

ये जो जिंदगी की किताब


ये जो  जिंदगी की किताब है ये किताब भी कोई किताब है
कही अंधेरों का ख्वाब है तो कही रोशनी  का हिजाब है ।।
कही उठते धुवें का जवाब है कही बुझते चिराग का हिसाब है 
कही सितारों का चिराग है कही पर रौशनी का नकाब है ।।
कही छावं कही धुप है कही औरों का ही रूप है 
कही कागज के फूल है तो कही इन फूलों में भी खोफ है ।।
कही पर चैन लेती है ये ख़ुशी कही पर मेहरबान होता है ये नसीब
कही खुशियों  में भी गम कही दूर  रह कर भी होता है करीब ।।
कहीं बरकतों के हैं बारिशें कहीं तिश्नगी  बेहिसाब है ।।
कही होटों पर आंसू हैं तो कही आँखों में खिजाब 
कही बेटी पर जुल्म हिसाब  तो कही नारी है बरकत की किताब ।।
कही दोलत का नकाब तो कही गरीबी है बेसुमार 
कही इंसान का नारी पर अत्यचार पर अत्यचार ।।
कही नारी है माँ का अवतार  कही बहु का परोपकार 
कही ये बंद किताब तो कही ये खुली  किताब  ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
ये जो जिंदगी की किताब है ये किताब भी कोई किताब है।।।।।।
दिनेश पारीक 


शनिवार, 4 मई 2013

मेरा भी नाम लिखो


मेरा  भी इस आसमान  में  नाम  लिखो
युगों . युगों  तक हो चर्चा  आम 
ऐसी  कोई  पहचान  लिखों ...... मेरा  भी  इस ......
हर  गली  नुकड़  की  सहायं  लिखो 
कोई  रचना  लिखो , कोई कहानी  लिखो 
कोई गजल  लिखो , कोई आम  लिखो 
मेरी भी कोई हर पहचान  लिखो 
ये इंसान इंसान   बन जाये 
ऐसी  कोई सरल  कुरान  लिखो 
माँ , बेटी  बहिन  को इज्जत  मिले 
ऐसा  कोई मान - सामान  लिखो 
चोर - चोर  मोसेरे  भाई 
ऐसे  को  कोई बेईमान  लिखो 
हर ओरत  की अपनी इज्जत 
इस इज्जत  को अपना  इमान  लिखो