गुरुवार, 9 सितंबर 2010

भजन

ऐ मालिक तेरे बंदे हम
ऐसे हो हमारे करम
नेकी पर चलें
और बदी से टलें
ताकि हंसते हुये निकले दम

जब ज़ुलमों का हो सामना
तब तू ही हमें थामना
वो बुराई करें
हम भलाई भरें
नहीं बदले की हो कामना
बढ़ उठे प्यार का हर कदम
और मिटे बैर का ये भरम
नेकी पर चलें

ये अंधेरा घना छा रहा
तेरा इनसान घबरा रहा
हो रहा बेखबर
कुछ न आता नज़र
सुख का सूरज छिपा जा रहा
है तेरी रोशनी में वो दम
जो अमावस को कर दे पूनम
नेकी पर चलें

बड़ा कमज़ोर है आदमी
अभी लाखों हैं इसमें कमीं
पर तू जो खड़ा
है दयालू बड़ा
तेरी कृपा से धरती थमी
दिया तूने हमें जब जनम
तू ही झेलेगा हम सबके ग़म
नेकी पर चलें


KAVITA

रूहों ने शहीदों की फिर हमको पुकारा है सरहद की सुरक्षा का अब फ़र्ज़ तुम्हारा है  हमला हो जो दुश्मन का हम जायेगे सरहद पर जाँ  देंगे वतन पर ये अरमान हमारा है  इन फिरकापरस्तों की बातों में न आ जाना मस्जिद भी हमारी है , मंदिर भी हमारा है  ये कह के हुमायूँ को भिजवाई थी इक राखी मजहब हो कोई लेकिन तू भाई हमारा है  अब चाँद भले काफ़िर कह दें  ये जहाँ वाले जिसे कहते हैं मानवता वो धर्म हमारा है  रूहों ने शहीदों की फिर हमको पुकारा है सरहद की सुरक्षा का अब फ़र्ज़ तुम्हारा