शनिवार, 14 जून 2014

उसकी याद

मेरी तेरी आँखों की, वो दो-पल मुलाकात 
जैसे मिल गई मुझे कोई  बड़ी शोगात 
ना तुम ने कुछ कहा ना मैंने कुछ कहा 
बस यूँ ही इशारों-इशारों में बात हो चली 
तेरे वो खुले खुले लहराते  बाल 
कानो में वो लहराते झुमके 
ग्रीन चूड़ीदार हाथ 
 में लगे नील रंग के बाजु 
तेरे चहरे की  वो रंगत है  याद , 
मैंने दी थी तुझे एक लम्बी आवाज़
रुकी तू, ली थी तूने गहरी सी सांस 
कुछ अलग सा था तेरी आँखों में 
जैसे दर्द उभरा था तेरी बातों में 
मैं बनी जान के भी अनजान 
क्यूँ  बढ़ाऊ जान-पहचान आखिर 
क्या लगे तू मेरी
 हमारी मुलाकात थी आधी-अधूरी 
फिर जी चाहा, हाथ बढ़ा के रोक तू तुझ 
को पूछु, क्या लेना-देना तुझसे 
मुझ को तुम तो बस चली गई एक अहसास देके 
मेरी दुनिया में तू मीठे सपने लेकर आया थी 
 सपनो को सच करने की ख्वाहिश जगी  थी 
तेरी मेरी मुलाकात यादों के कुछ सुनहरे पल देकर गई 
अमानत बनकर जो मेरे पास हमेशा के लिये रह गई 
तेरे कंगना तेरे नथुनी तेरे झुमके सब चुप है
 फिर भी तेरे आँखों से हो गई बात 
जैसे मिल गई मुझे कोई  बड़ी शोगात