सोमवार, 28 मई 2018

रिश्तो का कत्ल भाग 3

सभी के जाने के बाद अवंतिका  मन ही मन बडबडाते हुए , जल्दी जल्दी सफाई कर लेती हु फिर अभी रंजित को भी दवाई देनी बाकि है उसके बाद नहाना फिर खाना बनाना है / सफाई करने के बाद अवंतिका रंजित को दवाई देती है ये लो रंजित दवाई, भगवान जिंदगी में क्या क्या खेल खलता है हे  ईश्वर मेरे रंजित को जल्द ठीक कर दो / रंजित को दवाई देने के बाद अवंतिका नहाने चली जाती है और फिर पूजा की तैयारी करने लगती है  / और पूजा घर में भगवान की पूजा में मग्न हो जाती है /
सारे काम करने के बाद दरवाजे पर घंटी बजती है अवंतिका दरवाज़ा खोलती है अरे स्पंदना तुम आ गई जल्दी से कपडे चेंज कर लो फिर दोनों साथ में खाना खाते है और बता आज स्कूल में क्या क्या हुआ / दोनों स्पंदना और अवंतिका खाना खाने के बाद आराम करने लगते है और इस बीच में स्पंदना सो जाती है /
अवंतिका स्पंदना से स्पंदना स्पंदना बेटा उठो स्कूल से आने के बाद तो तुम इस तरह सो जाती हो की तुम्हे उठना ही नहीं होता है अभी अगले हफ्ते से तुम्हारे टेस्ट भी तो चालू होने वाले है उठो भी बेटा ! 

आगे पड़े कहानी जारी है।

मंगलवार, 8 मई 2018

एक किसान हूँ मैं

एक किसान हूँ मैं

किसान हूँ मैं ,परेशान हूँ मैं,
सरकार कोई भी हो, हैरान हूँ मैं||
कभी आकाश तो कभी धरती का कदरदान हूँ मैं,
कभी बेटे की पढाई,तो कभी बेटी की सगाई के लिए 
परेशान हूँ मैं,
क्योंकि किसान हूँ मैं||
कभी बारिस के ओलों,तो कभी आग के शोलों से 
कभी बैंक के ऋण से तो कभी भागदौड़ की भीड़ से
 हैरान हूँ मैं,
क्योकि किसान हूँ मैं,
कभी बगैर विकास के तो कभी विज्ञान के विनाश से 
मरता हूँ,
क्योकि किसान हूँ मैं,
जय-जवान जय-किसान का नारा है
क्योकि देश को इन्हीं का सहारा है |
लेकिन अनपढ़ गवार हूँ मैं ,
क्योकि किसान हूँ मैं,
कड़कती धूप हो या सर्द रातें ,
इतनी मेहनत से सभी हैं कतराते,
मदद के लिए ठोकरें खाता हूँ 
क्योंकि किसान हूँ मैं,
लेकिन देश के लिए मिसाल हूँ मैं||
-आशीष त्रिपाठी