काफी वक़त गुजर गया है
यु ही खाट पे बैठे- बैठे
अब आवाजे आती हैं रिश्तों की
कभी रिसने की कभी गांठ लगाने की
अब आवाजें आती है
कभी टूटने की तो कभी जुड़ने की
काफी वक़त गुजर चुका रिश्तो को ढोते - ढोते
अब तो खुद को ढूढता हूँ रिश्तो में जीते - जीते
वक्त नहीं ठहरता अहसास ठहर जाते है
यादो के भीतर से बस जख्म उभर आते है
कुछ खुशियों के पल दे जाते है
कुछ ग़मों से दिल छिल जाते हैं
रिश्तों से लिखा अब मिटने लगा है
धुआं सा रह गया है जोश बुझने लगा है
आज फिर वही आवाजें आने लगी गई
वक्त नहीं ठहरता अहसास ठहर जाते है
जवाब देंहटाएंयादो के भीतर से बस जख्म उभर आते है
जो थोडा रिसते ,नासूर बन टीसते जाते हैं !
रिश्तों की आवाजें गूंजती हैं उम्र भर ...
जवाब देंहटाएंwaah
जवाब देंहटाएंशानदार रचना ...
जवाब देंहटाएंjindgi ki shaam ke sath sath kayi rishton ki bhi jab shaam hone lagti hai to man me chubhan hona swabhawik hai.
जवाब देंहटाएंsamvedansheel rachna.
Maana ki rishtey takleef dete hai, gar pyar ho sachha to jine ki vajah bhi yahi banate hai.
जवाब देंहटाएंWaqt ka pahiya aise chalta, jugunu jaise jalta bujhata.
Is jugnu ko pakad jo paye
waqt usi ke sang ho jaye.
Teena.
https://udaari.blogspot.in/
कुछ खुशियों के पल दे जाते है
जवाब देंहटाएंकुछ ग़मों से दिल छिल जाते हैं ..behtarin...
काफी वक़त गुजर चुका रिश्तो को ढोते - ढोते
जवाब देंहटाएंअब तो खुद को ढूढता हूँ रिश्तो में जीते - जीते
...बहुत मर्मस्पर्शी और सटीक अभिव्यक्ति..
सुंदर प्रस्तुति रिश्तों के दर्द की और कुसियों की ।
जवाब देंहटाएंwah bhai ! shandar likha hai ....ehsas dil par asar karte hain
जवाब देंहटाएंMan ko chhu jjaane wale bhaav.
जवाब देंहटाएं............
ये खूबसूरत लम्हे...
बहुत शानदार दिल को छूती बेहतरीन भावपूर्ण रचना,,,,,
जवाब देंहटाएंWELCOME TO MY RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
bahut khoob....
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंअर्थ गर्भित नव भाषिक प्रयोग लिए अभिनव रचना सुन्दर ,मनोहर . उदास कर गई .मन भर गई .
जवाब देंहटाएंशुक्रवार, 7 सितम्बर 2012
शब्दार्थ ,व्याप्ति और विस्तार :काइरोप्रेक्टिक
मर्मस्पर्शी और सटीक
जवाब देंहटाएंगहन भाव...
जवाब देंहटाएंmardin
जवाब देंहटाएंmersin
muğla
rize
sakarya
C5A