बुधवार, 1 दिसंबर 2010

यादें "हिन्दी" कविता की दुनियाँ: मैं प्रिय पहचानी नहीं

यादें "हिन्दी" कविता की दुनियाँ: मैं प्रिय पहचानी नहीं: "पथ देख बिता दी रैन मैं प्रिय पहचानी नहीं ! तम ने धोया नभ-पंथ सुवासित हिमजल से; सूने आँगन में दीप जला दिये झिल-मिल से; आ प्रात बुझा गया कौन ..."

2 टिप्‍पणियां: