सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

एहसास के बादल गरज़े हैं सावन की सुलगती रात

एहसास के बादल गरज़े हैं सावन की सुलगती रात में मिलेंगे दो दिल  झूम - झूम के  इश्क़ की बरसात में


कदम-कदम पे खौफ का साया, डर-डर के जीते हैं लोग
क्या होगा हमारे देश का  इस  नाजुक  हालात में


कौन हो तुम   ऐ अजनबी, क्या तुमसे मेरा वास्ता
लग रहे  हो  क्यूँ  अपने  से  एक ही  मुलाक़ात में


सजना तेरे नाम  की  मेंहदी  हमने  सजाई हाथों में
गूंज उठी है  शहनाई - सी  ख़्वाबों  की  बारात में


क्या सोच के   तुम यहाँ  आये थे खाली  हाथ  "अशोक"
हर चीज़ की कीमत होती है, कुछ मिलता नहीं खैरात में


 ----  शायर  " रजनी  शर्मा  

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