रविवार, 10 फ़रवरी 2013

ये मेरी वफ़ा


ऐ  तू वफ़ा रुसवा नहीं करना
सुनो ऐसा नहीं करना
मैं पहले ही बहुत  अकेला हूँ 
मुझे और तन्हा  नहीं करना
लोग कहते हैं हाथो  की 
लकीरे  अधूरी  होती हैं 
पर तुम  उस पर  अमल  मत करना 
जुदाई भी अगर आये
दिल छोटा नहीं करना
बहु मश्रुफ हो जाना
मुझे सोचा नहीं करना
भरोसा भी जरुरी है
मगर सबका नहीं करना
मुकद्दर फिर मुकद्दर है
कभी दावा नहीं करना
जो लिखा है जरुर होगा
कभी शिकवा नहीं करना
मेरी गुजारिश तुमसे है
मुझे आधा नहीं करना
हकीकत है मिलन  अपना
इसे सपना नहीं करना
हमे तुम याद रहते हो
हमे भूला नहीं करना

12 टिप्‍पणियां:

  1. जो लिखा है जरुर होगा
    कभी शिकवा नहीं करना....WAAH DIL KHUSH HO GAYA DINESH JEE.....
    MERE LIYE BAHUT JARURI THA AAPKI YE KAVITA PADHNA ...THANKS....

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    1. इस जरुरत का मैं कारण पूछ सकता हूँ निशा जी
      आपका बहुत बहुत आभार

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  2. bahut khoob...bariya ,,,,
    pl remove word verification..

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. हर छोटी बड़ी उपलब्धी से हमारे जीवन में अनंत खुशियों का आगमन होता है ,चाहे हम अपनी मनपसंद वस्तु की खरीदारी करें यां फिर हमारी किसी इच्छा की पूर्ति हो ,अगर हमारी कोई अभिलाषा पूरी नही हो पाती तो हमे क्रोध आता है ,आकोश पनपता है और हम निराशा एवं अपार दुःख में डूब जाते है |वह इसलिए कि जैसा हम चाहते है वैसा हमे मिल नही पाता ,ऐसी परिस्थितियों से कोई उभर कर उपर उठ जाए ,यां आशा ,निराशा में सामंजस्य स्थापित कर सके तो हमारा दामन सदा खुशियों से भरा रहे पाए गा |अपने अंतर्मन की ऐसी आवाज़ सुन कर अनान्यास ही रितु के मुख से निकल पड़ा ”नही नही .यह तो बहुत ही मुश्किल है ,जब हम उदास होतें है तब तो हम और भी अधिक उदासी एवं निराशा में डूबते चले जाते है ,”|उन भारी पलों में हमारी विचारधारा ,हमारी सोच केवल हमारी इच्छा की आपूर्ति न होने के कारण उसी के इर्द गिर्द घड़ी की सुई की तरह घूमती रहती है |इन्ही पलों में अगर हम अपनी विचार धारा को एक खूबसूरत दिशा की ओर मोड़ दें तो जैसे जलधारा को नई दिशा मिलने के कारण बाढ़ जैसी स्थिति को बचाया जा सकता है ठीक वैसे ही विचारों के प्रवाह की दिशा बदलने से हम निराशा की बाढ़ में डूबने से बच सकतें है |हमारी जिंदगी में अनेकों छोटी छोटी खुशियों के पल आते है ,क्यों न हम उसे संजो कर रख ले ?,जब भी वह पल हमे याद आयेंगे हमारा मन प्रफुल्लित हो उठेगा |

    क्यों न हम अपने इस जीवन में हरेक पल का आनंद लेते हुए इसे जियें ? जो बीत चुका सो बीत चुका ,आने वाले पल का कोई भरोसा नही ,तो क्यों न हम इस पल को भरपूर जियें ?इस पल में हम कुछ ऐसा करें जिससे हमे ख़ुशी मिले ,आनंद मिले |जो कुछ भी हमे ईश्वर ने दिया है ,क्यों न उसके लिए प्रभु को धन्यवाद करते हुए , उसका उपभोग करें |
    ”हर घड़ी बदल रही है रूप जिंदगी ,
    छाँव है कही ,कही है धूप जिंदगी ,
    हर पल यहाँ जी भर जियो ,
    जो है समां कल हो न हो ”

    See
    http://auratkihaqiqat.blogspot.in/2013/02/blog-post.html

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  5. जीवन यूं ही गुज़रता रहे तो क्या बात है ...

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  6. वाह बहुत खूब ...


    बुद्धिमान बनना है तो चुइंगम चबाओ प्यारे - ब्लॉग बुलेटिनआज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  7. ऐ तू वफ़ा रुसवा नहीं करना
    सुनो ऐसा नहीं करना
    मैं पहले ही बहुत अकेला हूँ
    मुझे और तन्हा नहीं करना
    लोग कहते हैं हाथो की ........हाथों .....
    लकीरे अधूरी होती हैं
    पर तुम उस पर अमल मत करना
    जुदाई भी अगर आये
    दिल छोटा नहीं करना
    बहु मश्रुफ हो जाना।।।।।।बहुत मसरूफ हो जाना .......
    मुझे सोचा नहीं करना
    भरोसा भी जरुरी है
    मगर सबका नहीं करना
    मुकद्दर फिर मुकद्दर है
    कभी दावा नहीं करना
    जो लिखा है जरुर होगा
    कभी शिकवा नहीं करना
    मेरी गुजारिश तुमसे है
    मुझे आधा नहीं करना
    हकीकत है मिलन अपना
    इसे सपना नहीं करना
    हमे (हमें )तुम याद रहते हो
    हमे(हमें ) भूला नहीं करना

    बहुत खूब लिखा है ऊंचे पाए की रचना दिनेश भाई .सब ब्लोगर भाई सब ब्लॉग बराबर हैं यहाँ कोई छोटा बड़ा नहीं हैं अलबत्ता उम्र में अपने से छोटों का ख्याल रखना हमारा फर्ज़ ज़रूर है .
    (हमें ,मसरूफ ,हाथों )

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  8. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ! शुभकामनाएं !

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