मंजर भी वही था रास्ते अलग थे
मंजिल वही थी पर हमसफ़र अलग थे
कहानी वही थी पर सपने अलग थे
आवाज़ वही थी पर कदम अलग थे
चाँद भी आराम पे था रास्ता भी सुनसान था
पीछे से आवाज़ आयी मैं कुछ हेरान था
मैं कुछ चोंका मैं कुछ ठिठका
मन मैं कुछ खटका हाथ से मते कुछ चटका
तुम कहा चले ? हमें था इतंजार तेरा
बेसर्मो की तरह चले जा रहे हो
मंजिल की तरफ बढे जा रहे हो
मैं वही हूँ रास्ता पुराना तेरा
मैं वही हूँ हमसफ़र पुराना तेरा
अब मैं क्या कहू साथी मेरे
हम तो दुनिया से अलग थे
मंजिल मेरे यार तो अब और तब भी वही थी
तब दोस्त हम थे और दुश्मन तुम थे
लोग कस्तिया बदलते थे | तुम हमसफ़र बदल ते थे
नशीब तो मेरे साथ नहीं था पर तुम मेरे साथ कहा थे
मंजर भी वही था रास्ते अलग थे
मंजिल वही थी पर हमसफ़र अलग थे
bahut badhiya ....
जवाब देंहटाएंवाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंbahut umda
जवाब देंहटाएंमन में उठते भाव शब्दों में ढाल दिये हैं आपने ...बहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा प्रयास है ..निरंतर बनाए रखो ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा प्रयास है ...
जवाब देंहटाएंशानदार....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना.....
wah ! bahut khoob bhai
जवाब देंहटाएंsundar prayas....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंAprateem rachana hai!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब. सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंयही होता है तू नहीं तो और सही और नहीं तो और सही .....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंकुछ और तराशा जाना चाहिए इस तस्वीर को
जवाब देंहटाएंसार्थक सृजन , आभार.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग " meri kavitayen "की नवीनतम पोस्ट पर आपका स्वागत है .
मंजर भी वही था रास्ते अलग थे
जवाब देंहटाएंमंजिल वही थी पर हमसफ़र अलग थे
..samay-samay ki baat..kab kaun badal jaay kah nahi sakte ..
bahut badiya rachna
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने
सुन्दर भावपूर्ण कविता के लिए बधाई....!
जवाब देंहटाएंमंजर भी वही था रास्ते अलग थे
जवाब देंहटाएंमंजिल वही थी पर हमसफ़र अलग थे
...बहुत खूब! सुन्दर प्रस्तुति...
बहुत ही अच्छी लगी आपकी यह प्रस्तुति... आभार।मेरे नए पोस्ट "प्रेम सरोवर" के नवीनतम पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी लगी आपकी यह प्रस्तुति... आभार।मेरे नए पोस्ट "प्रेम सरोवर" के नवीनतम पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है।
जवाब देंहटाएंतुम कहा चले ? हमें था इतंजार तेरा
जवाब देंहटाएंबेसर्मो की तरह चले जा रहे हो
मंजिल की तरफ बढे जा रहे हो
मैं वही हूँ रास्ता पुराना तेरा
मैं वही हूँ हमसफ़र पुराना तेरा
अब मैं क्या कहू साथी मेरे
हम तो दुनिया से अलग थे
bahut hi sundar prabhavshali rachana lagi ....sadar dhanyvad dinesh ji
लोग कस्तिया बदलते थे | तुम हमसफ़र बदल ते थे
जवाब देंहटाएंनशीब तो मेरे साथ नहीं था पर तुम मेरे साथ कहा थे
मंजर भी वही था रास्ते अलग थे
मंजिल वही थी पर हमसफ़र अलग थे
लोग किश्तियाँ ..................
नसीब .....................................................कहाँ ...
बढ़िया प्रस्तुति है कृपया यहाँ भी पधारे -
ram ram bhai
बृहस्पतिवार, 30 अगस्त 2012
अस्थि-सुषिर -ता (अस्थि -क्षय ,अस्थि भंगुरता )यानी अस्थियों की दुर्बलता और भंगुरता का एक रोग है ओस्टियोपोसोसिस
http://veerubhai1947.blogspot.com/
लोग कस्तिया बदलते थे | तुम हमसफ़र बदल ते थे
जवाब देंहटाएंनशीब तो मेरे साथ नहीं था पर तुम मेरे साथ कहा थे
मंजर भी वही था रास्ते अलग थे
मंजिल वही थी पर हमसफ़र अलग थे
लोग किश्तियाँ ..................
नसीब .....................................................कहाँ ...
बढ़िया प्रस्तुति है कृपया यहाँ भी पधारे -
ram ram bhai
बृहस्पतिवार, 30 अगस्त 2012
अस्थि-सुषिर -ता (अस्थि -क्षय ,अस्थि भंगुरता )यानी अस्थियों की दुर्बलता और भंगुरता का एक रोग है ओस्टियोपोसोसिस
http://veerubhai1947.blogspot.com/
बहुत ही अच्छी पोस्ट। मेरे नए पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर..!!
जवाब देंहटाएंआदरणीय सुश्रीसंगीताजी,
जवाब देंहटाएं"रास्ते पुराने पर हम दुनिया से अलग..!"
बहुत ही बढ़िया ख़्याल पेश किया है । आपका अनेकानेक धन्यवाद ।
just one word outstanding.
जवाब देंहटाएंTeena
Meri post first time, read it.
Udaari Dosti di.
Udata panchhi.
बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंमंजिल मेरे यार तो अब और तब भी वही थी
जवाब देंहटाएंतब दोस्त हम थे और दुश्मन तुम थे
लोग कस्तिया बदलते थे | तुम हमसफ़र बदल ते थे
kahaun in bhavon ke samne nihshabd hoon
rachana