रविवार, 10 जून 2012

कभी हम जिंदगी से रूठ बैठे

कभी हम जिंदगी से रूठ बैठे, कभी जिंदगी हम से रूठ बैठी
पर हुआ कुछ भी नहीं
पलट के देखा तो हम से किस्मत भी रूठ बैठी
नुकसान भी मेरा हुआ और हर्जाना भी मेरी जिंदगी भर बैठी
आज दिल टूटने का अंदेसा हुआ था
हम तो उस के घर भी गए थे पर आज वो भी रूठ बैठी
कही ये वो बचपन के मिटटी कर घर जेसा लगा
कही ये मिटटी के पुतले जेसा लगा
उसको भी थी खबर मुझ को भी थी खबर
फिर भी ये जिंदगी से खेल बैठी
पलट के देखा तो हम से किस्मत भी रूठ बैठी ||
कहा लोगो ने भी मुझे एक भी आँसू न कर बेकार
जाने कब समंदर मांगने आ जाए!
यूँ तो मैं भी न रोने वाला था पर वो भी तो इतने खुश थे की उनके हिस्से का रोना मुझे आ जाये ||
कभी न वो रोये थे न अब वो रोये है फिर क्यूँ वो सकुन उसे दे बेठे 
हम तो थे उनके सामने फिर फिर भी वो उल्फत कर बेठे ||

हम तो उस के घर भी गए थे पर आज वो भी रूठ बैठी |
कभी हम जिंदगी से रूठ बैठे, कभी जिंदगी हम से रूठ बैठी||

25 टिप्‍पणियां:

  1. भावों का अदभुत सैलाब ... समंदर प्रतीक्षित है

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  2. bahut accha likha hai...zindagi aisi hi hoti hai

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  3. जिंदगी हर कदम एक नई जंग हैं .....

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  4. भावपूर्ण रचना ... जंग तो पूरा जीवन ही है ...

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  5. यह रूठना-मनाना ही तो ज़िंदगी है! सुंदर प्रस्तुति! बधाई!

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  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति !

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  7. यूँ तो मैं भी न रोने वाला था पर वो भी तो इतने खुश थे की उनके हिस्से का रोना मुझे आ जाये ||waah...

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  8. Bahut sunder ..nai paribhasha ..khare aansu samunder magane aa gaya ..waah !

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  9. क्या कहने...
    बहुत ही सुन्दर..
    भावविभोर करती रचना...

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  10. संवेदना से भरी मार्मिक रचना...

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  11. बढिया भावाभिव्यक्ति .स्व :संवाद .

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  12. बढिया भावाभिव्यक्ति .स्व :संवाद .

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  13. कहा लोगो ने भी मुझे एक भी आँसू न कर बेकार
    जाने कब समंदर मांगने आ जाए!
    यूँ तो मैं भी न रोने वाला था पर वो भी तो इतने खुश थे की उनके हिस्से का रोना मुझे आ जाये ||

    dusaron ke hisse ka rona...
    badi kathin saaadhanaa hai..

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  14. रूठना-मनाना ही वह सिलसिला है जो चलता रहता है।

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  15. बहुत सुन्दर बहुत अच्छा लिखते है आप
    मेरी तरफ से बधाई सवीकार कीजिये

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  16. भावमय करते शब्‍दों का संगम ...

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  17. जीवन की कशमकश शब्दों में उतार दी है -बहुत ख़ूब ऍ

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