कभी हम जिंदगी से रूठ बैठे, कभी जिंदगी हम से रूठ बैठी
पर हुआ कुछ भी नहीं
पलट के देखा तो हम से किस्मत भी रूठ बैठी
नुकसान भी मेरा हुआ और हर्जाना भी मेरी जिंदगी भर बैठी
आज दिल टूटने का अंदेसा हुआ था
हम तो उस के घर भी गए थे पर आज वो भी रूठ बैठी
कही ये वो बचपन के मिटटी कर घर जेसा लगा
कही ये मिटटी के पुतले जेसा लगा
उसको भी थी खबर मुझ को भी थी खबर
फिर भी ये जिंदगी से खेल बैठी
पलट के देखा तो हम से किस्मत भी रूठ बैठी ||कहा लोगो ने भी मुझे एक भी आँसू न कर बेकारजाने कब समंदर मांगने आ जाए!यूँ तो मैं भी न रोने वाला था पर वो भी तो इतने खुश थे की उनके हिस्से का रोना मुझे आ जाये ||कभी न वो रोये थे न अब वो रोये है फिर क्यूँ वो सकुन उसे दे बेठे हम तो थे उनके सामने फिर फिर भी वो उल्फत कर बेठे ||
हम तो उस के घर भी गए थे पर आज वो भी रूठ बैठी |कभी हम जिंदगी से रूठ बैठे, कभी जिंदगी हम से रूठ बैठी||
कभी हम जिंदगी से रूठ बैठे, कभी जिंदगी हम से रूठ बैठी
पर हुआ कुछ भी नहीं
पलट के देखा तो हम से किस्मत भी रूठ बैठी
नुकसान भी मेरा हुआ और हर्जाना भी मेरी जिंदगी भर बैठी
आज दिल टूटने का अंदेसा हुआ था
हम तो उस के घर भी गए थे पर आज वो भी रूठ बैठी
कही ये वो बचपन के मिटटी कर घर जेसा लगा
कही ये मिटटी के पुतले जेसा लगा
उसको भी थी खबर मुझ को भी थी खबर
फिर भी ये जिंदगी से खेल बैठी
पलट के देखा तो हम से किस्मत भी रूठ बैठी ||
पर हुआ कुछ भी नहीं
पलट के देखा तो हम से किस्मत भी रूठ बैठी
नुकसान भी मेरा हुआ और हर्जाना भी मेरी जिंदगी भर बैठी
आज दिल टूटने का अंदेसा हुआ था
हम तो उस के घर भी गए थे पर आज वो भी रूठ बैठी
कही ये वो बचपन के मिटटी कर घर जेसा लगा
कही ये मिटटी के पुतले जेसा लगा
उसको भी थी खबर मुझ को भी थी खबर
फिर भी ये जिंदगी से खेल बैठी
पलट के देखा तो हम से किस्मत भी रूठ बैठी ||
कहा लोगो ने भी मुझे एक भी आँसू न कर बेकार
जाने कब समंदर मांगने आ जाए!
यूँ तो मैं भी न रोने वाला था पर वो भी तो इतने खुश थे की उनके हिस्से का रोना मुझे आ जाये ||
कभी न वो रोये थे न अब वो रोये है फिर क्यूँ वो सकुन उसे दे बेठे
हम तो थे उनके सामने फिर फिर भी वो उल्फत कर बेठे ||
हम तो उस के घर भी गए थे पर आज वो भी रूठ बैठी |
कभी हम जिंदगी से रूठ बैठे, कभी जिंदगी हम से रूठ बैठी||
भावों का अदभुत सैलाब ... समंदर प्रतीक्षित है
जवाब देंहटाएंयही तो ज़िन्दगी है\
जवाब देंहटाएंbahut accha likha hai...zindagi aisi hi hoti hai
जवाब देंहटाएंजिंदगी हर कदम एक नई जंग हैं .....
जवाब देंहटाएंbahut hee bhawpurn rachna
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना ... जंग तो पूरा जीवन ही है ...
जवाब देंहटाएंयह रूठना-मनाना ही तो ज़िंदगी है! सुंदर प्रस्तुति! बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंसादर
यूँ तो मैं भी न रोने वाला था पर वो भी तो इतने खुश थे की उनके हिस्से का रोना मुझे आ जाये ||waah...
जवाब देंहटाएंBahut sunder ..nai paribhasha ..khare aansu samunder magane aa gaya ..waah !
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति! बधाई!
जवाब देंहटाएंक्या कहने...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर..
भावविभोर करती रचना...
भाई वाह....
जवाब देंहटाएंसंवेदना से भरी मार्मिक रचना...
जवाब देंहटाएंबढिया भावाभिव्यक्ति .स्व :संवाद .
जवाब देंहटाएंबढिया भावाभिव्यक्ति .स्व :संवाद .
जवाब देंहटाएंकहा लोगो ने भी मुझे एक भी आँसू न कर बेकार
जवाब देंहटाएंजाने कब समंदर मांगने आ जाए!
यूँ तो मैं भी न रोने वाला था पर वो भी तो इतने खुश थे की उनके हिस्से का रोना मुझे आ जाये ||
dusaron ke hisse ka rona...
badi kathin saaadhanaa hai..
रूठना-मनाना ही वह सिलसिला है जो चलता रहता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बहुत अच्छा लिखते है आप
जवाब देंहटाएंमेरी तरफ से बधाई सवीकार कीजिये
भावमय करते शब्दों का संगम ...
जवाब देंहटाएंजीवन की कशमकश शब्दों में उतार दी है -बहुत ख़ूब ऍ
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना.
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना..........
जवाब देंहटाएंbahut sundar didi
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