तुम्हें जब भी मिलें फुरसतें , मेरे दिल से ये बोझ उत्तार दो
मैं बहुत दिनों से उदास हूँ , मुझे एक शाम तो उधार दो
इस दुनिया का रंग उतार दो अपने प्रेम रंग चढ़ा दो
ये बेरंगी हो गई है मेरी दुनिया अपना रंग मुझे उधार दो
मुझे अपने रूप की धुप दो जो चमक सके मेरी दुनिया
मुझे अपने रंग में रंग दो मेरे सारे जंग उतर दो
तुम बिन जिया नहीं जाता एक तो जीने का मक़ाम दो
हर शाम मुझे काटती है मुझे मौत तो आसान दो
मेरी ऑंखें बोझिल हो गई हैं ये बोझ तो उतार दो
तुम बिन पतझड़ जैसा जीवन अपना दिल का बसंत सुमार दो
तुम से डोरी से डोरी बंधी रहे मुझे ऐसा कोई नकाब दो
बारिश आयी चली गई पतझड़ जैसा ना तुम ख्वाब दो
बहुत दिनों से बे -करार हूँ जीने की एक वजह उधार दो
दिनेश पारीक
बहुत उम्दा....काफी मिलती है लाईनें मेरी लिखी रचना से कभी..:) याने कि सोच मिलती है..हा हा!!...मैं बहुत दिनों से उदास हूँ ....देख कर...
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है ... दिल का हाल लिख दिया आपने तो ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब ...
वो नहीं तो सब बहार रूठ जाती हैं और जब लौट आये तो बहार फिर लौट आती हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
बारिश आयी चली गई पतझड़ जैसा ना तुम ख्वाब दो
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों से बे -करार हूँ जीने की एक वजह उधार दो
...बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
sundar bhavpurn rachna kya khoob hale dil likha hai
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंआदरणीय नामराशि -
atulniy-***
जवाब देंहटाएंसुंदर !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।।
जवाब देंहटाएंवाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूब
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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बहुत भाव भरी रचना..
जवाब देंहटाएंबारिश आयी चली गई पतझड़ जैसा ना तुम ख्वाब दो
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों से बे -करार हूँ जीने की एक वजह उधार दो ...
सुभानाल्लाह .... ख़ुदा ख़ैर करे .............
शुभकामनायें ....
वाह क्या बात है, शुभकामनायें ..
जवाब देंहटाएंhriday se nikle narm se bhaav, achhi rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
बहुत सुंदर भाव.....
जवाब देंहटाएंदिल खोल के मुस्कराऊं मैं
बस ऐसा कोई उपहार दो .....
खुश रहो |
बहुत खुब....
जवाब देंहटाएंये दास्ताँ -ए-दिल ..बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना गहन भाव लिए |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत भावपूर्ण रचना!
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
वाह...वाह....
जवाब देंहटाएंदिल का हाल सुने दिलवाला.....
ऐसे अनुरोध को कोई कैसे टाले भला...
जवाब देंहटाएंभावनाओं की सहज अभिव्यक्ति...
अनु
बहुत भावपूर्ण सहज अनुभूति..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबारिश आयी चली गई पतझड़ जैसा ना तुम ख्वाब दो
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों से बे -करार हूँ जीने की एक वजह उधार दो-----waah
bahut sunder pyar ka maheen ahsas
Sundar
जवाब देंहटाएंSundar
जवाब देंहटाएंगज़ब की कविता...बेहद सुन्दर दर्द भरे भाव !
जवाब देंहटाएंढेर सराहना के साथ,
दीप्ति
bahut acha.. i like it
जवाब देंहटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंवाह वाह क्या बात है बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति !!!
जवाब देंहटाएंवाह क्या खूब उकेरा है भावनाओं को .....गज़ब......
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा लाजबाब प्रस्तुति ,,,दिनेश जी बधाई
जवाब देंहटाएंRecentPOST: रंगों के दोहे ,
khubsoorat rachna bhai.......
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबारिश आयी चली गई पतझड़ जैसा ना तुम ख्वाब दो
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों से बे -करार हूँ जीने की एक वजह उधार दो
bahut khoob ....aabhar.
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति । आपको और आपके पूरे परिवार को रंगों के त्योहार होली की शुभ कामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत ही सहज और खूबसूरत भाव, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वाह...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें नरेन्द्र से नारीन्द्र तक .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1
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