शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

फरियाद


वो कोनसा दिन था  की आप  जिस दिन हम आपको याद  नहीं करते हैं 
फर्क इतना सा  है हम भूलने की कोशिश करते हैं 
और  हमारे नैन  फरियाद करते हैं 
उनका  क्या हाल  होगा , ये ही  गम सताता  हैं
नींद  भी नहीं आती  , और सवेरा  निकल  जाता है 
हर  तरफ  उजाला है ,  दिल  मैं एक अँधेरा  हैं ।
सामने  वो कब आयेगा  वो ही बस एक सवेरा  है ।।
इतने  जख्म  हैं दिल पर ,  मेरे फिर भी  गम नहीं है 
मौत  के  डर से भूल जाये , तुम्हे  एसे  हम नहीं हैं
हमें  मोहब्बत  भी तुम से  और नफ़रत  भी है   
आप से मिलने  की दिल; से उस से जायदा  हसरत भी है ।।
दिनेश  पारीक 

18 टिप्‍पणियां:

  1. भूल जाना इतना आसान कहाँ होता है ...

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  2. भूलना चाहूँ, भूल ना पाऊं ,याद आ ही जाती है
    Latest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !

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  3. सुन्दर रचना , अगर आप टिप्पणी से शब्द सत्यापन हटा दें तो टिप्पणी देने वाले को सुविधा होगी !!

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  4. धूप-छाँव के खेल में, दिल रत है दिन-रात ।

    नफ़रत आखिर क्यूँ भरी, बिना बात की बात ।

    बिना बात की बात, जरा झांको अन्तस में ।

    रखते करके कैद, नहीं मैं अपने बस में ।

    यह हसरत फ़रियाद, बाढ़ में फंसे गाँव के ।

    अब लेना क्या स्वाद, खेल कर धूप छाँव के ।।

    tippani karna aasaan banao -
    word varifi- hatao-

    3rd time trying

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  5. Bahut gajab lagi... :)

    aap mere blog par aaye iska bahut bahut Sukriya ..

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  6. हमें प्यार भी है तुमसे
    और नफरत भी
    कम नहीं करते
    पता नहीं ये
    जुल्म हम आप पर
    कब और
    क्यों हैं करते
    सादर

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  7. इतने जख्म हैं दिल पर पर गम नहीं है "बहुत खूब |
    उम्दा प्रस्तुति |
    आशा

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  8. हर तरफ उजाला है , दिल मैं एक अँधेरा हैं ।
    सामने वो कब आयेगा वो ही बस एक सवेरा है ।।

    देखिये उस तरफ उजाला है जिस तरफ /जगा रोशनी नहीं जाती ...

    भाव और अर्थ की सहज दो टूक अभिव्यक्ति .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .

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