वो कोनसा दिन था की आप जिस दिन हम आपको याद नहीं करते हैं
फर्क इतना सा है हम भूलने की कोशिश करते हैं
और हमारे नैन फरियाद करते हैं
उनका क्या हाल होगा , ये ही गम सताता हैं
नींद भी नहीं आती , और सवेरा निकल जाता है
हर तरफ उजाला है , दिल मैं एक अँधेरा हैं ।
सामने वो कब आयेगा वो ही बस एक सवेरा है ।।
इतने जख्म हैं दिल पर , मेरे फिर भी गम नहीं है
मौत के डर से भूल जाये , तुम्हे एसे हम नहीं हैं
हमें मोहब्बत भी तुम से और नफ़रत भी है
आप से मिलने की दिल; से उस से जायदा हसरत भी है ।।
दिनेश पारीक
बहुत सुन्दर व् .सराहनीय अभिव्यक्ति अफज़ल गुरु आतंकवादी था कश्मीरी या कोई और नहीं ..... आप भी जाने संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग
जवाब देंहटाएंभूल जाना इतना आसान कहाँ होता है ...
जवाब देंहटाएंभूलना चाहूँ, भूल ना पाऊं ,याद आ ही जाती है
जवाब देंहटाएंLatest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !
सुन्दर रचना , अगर आप टिप्पणी से शब्द सत्यापन हटा दें तो टिप्पणी देने वाले को सुविधा होगी !!
जवाब देंहटाएंधूप-छाँव के खेल में, दिल रत है दिन-रात ।
जवाब देंहटाएंनफ़रत आखिर क्यूँ भरी, बिना बात की बात ।
बिना बात की बात, जरा झांको अन्तस में ।
रखते करके कैद, नहीं मैं अपने बस में ।
यह हसरत फ़रियाद, बाढ़ में फंसे गाँव के ।
अब लेना क्या स्वाद, खेल कर धूप छाँव के ।।
tippani karna aasaan banao -
word varifi- hatao-
3rd time trying
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार
हटाएंbahut sundar rachna bhai...
जवाब देंहटाएंआभार दीदी
हटाएंsundar srijan
जवाब देंहटाएंBahut gajab lagi... :)
जवाब देंहटाएंaap mere blog par aaye iska bahut bahut Sukriya ..
हमें प्यार भी है तुमसे
जवाब देंहटाएंऔर नफरत भी
कम नहीं करते
पता नहीं ये
जुल्म हम आप पर
कब और
क्यों हैं करते
सादर
इतने जख्म हैं दिल पर पर गम नहीं है "बहुत खूब |
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति |
आशा
हर तरफ उजाला है , दिल मैं एक अँधेरा हैं ।
जवाब देंहटाएंसामने वो कब आयेगा वो ही बस एक सवेरा है ।।
देखिये उस तरफ उजाला है जिस तरफ /जगा रोशनी नहीं जाती ...
भाव और अर्थ की सहज दो टूक अभिव्यक्ति .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
bahut hi sundar bhv,khooshoorut rachna
जवाब देंहटाएंBahut Sunder Bhavabhivykti
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंsundar rachna likhi hai aapne ...
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