गुरुवार, 24 जनवरी 2013

ये मेरी मिट्टी

मिट्टी फिर भी तो नहीं मिटी!
मिट्टी  का घर  मिट्टी   का मैं मिट्टी  मैं मिल  जाऊंगा 
फिर भी  नहीं मिटेगी  ये मेरी ये तेरी मिट्टी 
वो कुम्हार की थापी से 
कितने  रूपों  मै  मिली होगी  कुटी -पिटी 
हर बार अपना रंग  बिखेर  गई 
फिर भी नहीं मिट्टी   ये मेरी मिट्टी 
गीली हो या सुखी कुछ भी मंड  लो 
कोर कागज सी कुछ भी लिख लो 
कुछ इस तरह  से है ये मेरी मिट्टी 
मिट्टी  का घर  मिटटी का मैं मिट्टी   की ये धरती 
मिट्टी   की गलिया , मिटटी के पेड मिट्टी   मैं मिल जाते है 
 कुछ ऐसी  इज्जत जो झट  से मिट्टी   मैं मिल जाये 
मिट्टी   के आदमी   मिट्टी   के बोल  मिट्टी   के  खोल 
मिट्टी   2 करता रहता है मिट्टी  मैं मिल जाता है 
मिट्टी   की सोगंध  मिट्टी   मैं मिल जाती है 
वो सूरज  सब कुछ  जला  जाये , छलनी  मैं  भी आग  लगा  जाये 
सूरज दमके तो ताप जाये  एक बार मिट्टी   भी तप  जाये 
दिन  ढले  तो वो भी डर  जाये   संध्या  को वो भी थक  जाये 
बच्चो  के खिलोने  मिट्टी  के ही बन  जाये 
समय  गुजरे  वो भी मिट्टी   मैं मिलजाए 
आंधी  ए तो  उड़  जाये  बारिश  ए तो घुल  जाये 
फसले  कटती  मिट्टी   से  वो उगती  मिट्टी   से 
 घर आये  फिर हम   उनको  खाए  
फिर भी वो मिल जाये मिट्टी   
हजारो हाथो से कुटी -पीती  ऐसी  है ये मेरी मिट्टी  
मिट्टी-मिट्टी पर मिटती  है 
मिट - मिट  के सवरती  हैं 
मिट -मिट - के सवरती है  मैं मिट्टी का  तु मिट्टी का 
घर मिट्टी का  , खिलोने  मिट्टी के ये भगवान  मिट्टी के 
वो भी  मिट - मिट - के इस मिट्टी मैं मिटते हैं 
ये  मिट्टी के सपने  मिट्टी   पर सवारते हैं 
मिटटी  का चुला  मिट्टी के बरतन मिट्टी मैं खाते हैं 
फिर  मिट्टी मैं  ही मर जाते है
ये भी मिट्टी वो भी मिट्टी सारी  दुनिया है  मिट्टी 
फिर भी तू क्यूँ बाटे  इस  मिट्टी को  


18 टिप्‍पणियां:

  1. ये भी मिट्टी वो भी मिट्टी सारी दुनिया है मिट्टी
    फिर भी तू क्यूँ बाटे इस मिट्टी को . very nice .fonts bahut chote hain :)

    जवाब देंहटाएं
  2. गोरा ,काला,नीला ,पीला, सब है यह मिटटी का रंग
    जात -पात ,धर्म -अधर्म का भेद कर ,रंग क्यों करते हो भंग ?-उम्दा भाव
    New post कृष्ण तुम मोडर्न बन जाओ !

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, अच्छी रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  4. sahi kaha bhai...sab mitti kay ant mey mitti mey mil jate hain...fir bhi jane kyu abhiman karte hain

    जवाब देंहटाएं
  5. dharatal se judi huai baat vakai jeevan mitti se juda hi to hai
    sarthak rachna /badhai

    जवाब देंहटाएं
  6. मिट्टी के इस तन को एक दिन मिट्टी में मिल जाना है।

    जवाब देंहटाएं
  7. एक दिन सबको माटी में मिल जाना है ...फिर भी जाने क्यूँ इंसान गुमान करता हैं ..
    बहुत बढ़िया रचना..

    जवाब देंहटाएं
  8. जब जानते हैं की एक दिन इसी मिट्टी में मिल जाना है,उसके बाद भी सब अपनी-अपनी परेशानियों में घिरे हैं

    जवाब देंहटाएं
  9. Mitti se bane hai aur Mitti me mil jana hai ....sundar Rachna
    http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/01/blog-post_26.html

    जवाब देंहटाएं
  10. सुंदर कविता.

    आपको गणतंत्र दिवस की बधाइयाँ और शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  11. मिटटी की महत्ता कभी कम नहीं हो सकती
    आखिर में मिटटी ही में मिलना है सबको
    सुन्दर रचना
    सादर !

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुन्दर ... मिटटी ही सब कुछ है और मिटटी हो जाना है..क्या तेरा क्या मेरा ...सुन्दर रचना विभा जी..

    जवाब देंहटाएं
  13. सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  14. मिट्टी के हम मिट्टी की दुनिया और मिट्टी-मिट्टी का खेल... अच्छी रचना, बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  15. अदभुत--बहुत सुंदर
    बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं