मैं अब नहीं रोउंगी
अब मैं हसुँगी अब मेरे साथ पूरा देश हँसेगा
अब तुम रोवोगे अब मैं हसुँगी
तुम तो मेरे कर्जदार थे ही
हे खुदा तुम ने किस मिटटी को
मेरा वफादार बना दिया
जिस मिटटी को मैंने मेरे हाथो से सजाया था
उस वफादार को ही तूने इज्जत का लुटेरा बना दिया
तू क्यूँ नहीं समझ रहा ऐ खुदा
मैं नहीं महफूज इस धरा पर
तूने कह तो मैंने बना दिया इस को
ये मुझे ही नोच रहा है इस धरा पर
क्या तूने कहा है की वो मुझे मिटा दे
एक बार तू मुझे कह दे मैं उसे मिटा दूंगी
ना मैं अब रोउंगी ना तेरे दर पे आउंगी
अब तू देख वो नहीं माना तो
जिन हाथो से बनाया था
उन हाथो से उसे मैं मिटा दुंगी
आक्रोश लिए ... अगर ये हो गया तो पुरुष समाज रोयेगा अपने कर्मों पे ...
जवाब देंहटाएंफिर भी जागता नहीं पता नहीं क्यों ...
bahut khoobsurat rachan aur aakrosh se bhari hui aapki soch ko naman hia dinesh jee
जवाब देंहटाएंआखिर हर जुल्म का अंततः अंत होता ही है लेकिन हम उसके अंत का इन्तेज़ार क्यों करें उसके दूर करने में भागीदार बने.
जवाब देंहटाएंलोहड़ी, मकर संक्रान्ति और माघ बिहू की शुभकामनायें.
तूने कह तो मैंने बना दिया इस को
जवाब देंहटाएंये मुझे ही नोच रहा है इस धरा पर ....
सही और सार्थक रचना ।
मकर सक्रांति की शुभकामनायें
सटीक चेतावनी देती रचना ।
जवाब देंहटाएंsamay par talkh tippani !bahut badhai bhai !
जवाब देंहटाएंसार्थक आक्रोश...
जवाब देंहटाएंसार्थक चेतावनी की गर्जना
जवाब देंहटाएंसटीक चेतावनी देती हुई प्रभावी रचना
जवाब देंहटाएंसादर !
atulniy-***
जवाब देंहटाएंएक बार तू मुझे कह दे मैं उसे मिटा दूंगी
जवाब देंहटाएंना मैं अब रोउंगी ना तेरे दर पे आउंगी
अब तू देख वो नहीं माना तो
जिन हाथो से बनाया था
उन हाथो से उसे मैं मिटा दुंगी
सटीक चेतावनी देती हुई प्रभावी रचना
swa ki prerna deti prabhavi rachna..
जवाब देंहटाएंऔरत अब डरना छोड़े ....उसे मज़बूत बनना होगा !
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं !
बेहतरीन सार्थक चेतावनी भरा भाव,बहुत ही सुन्दर।
जवाब देंहटाएंइस चुनौती का सामना करने के लिये कुछ कड़े कदम कुछ कठोर निर्णय लेने ही पड़ेगें.
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति.
bevak kavita.....ekdam samyik....
जवाब देंहटाएंसुंदर और सार्थक प्रस्तुति
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