शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

खूब पहचानती हूँ मैं तुम को

खूब पहचानती हूँ मैं तुम को 
और तुम्हारे इस  समाज 
और इस समाज  के थेकेदारों  को 
जिस के नाम पर तुम लोग  
मेरी  इज्जत  तार- तार  करते हो  
और फिर बोलते हो की वो तो मनोरोगी  था
 मैंने ही उस को भड़काया था
 हाँ  भड़काया तो मैंने ही था 
 तुम को जब तुम को पैदा  करने की सोची
9 महीनो तक  संताप  सहती रही  पर
 तुम जैसे सामाजक  पैदा  हुवे 
हाँ  भड़काया  तो मैंने ही था  अपनी आत्मा  को
 की तुम से निश्चल  प्रेम  किया  
तुम को अपनी आत्मा  सोप  दी 
तुम जानते हो इस संसार में
 तुम कैसे जीवित हो 
इस वक्स्थल  से तुम को सीच -सीच  कर पला  है
 मैने ही अपने 
 विभिन्न रूपों में तु्म्हें उबारा है
माँ, भगिनी, प्रेयसी  और बेटी बनकर 
तुम्हें संबल दिया मैं ही तुम  
को पिता  बनने  का दर्जा  दिया है 
आज  तुम मुझे नहीं नोंचते तुम 
अपनी माँ  माँ, भगिनी, प्रेयसी बेटी के साथ बलात्कार  करते हो जिस योनि को तुम आज लहुलुहान  करते हो उस योनि ने तुम को इस संसार दिया है जिन छातियों को तुम लहुलुहान करते हो उन 
 वात्सल्य  से मैंने  तुम्हारे लहू को सींचता है 
जिस  खून की तुम गर्मी मुझे  दिखाते हो 
वो खून  तो मेरा ही है 
तुम  तो  जन्म  लेते  ही मेरे पर अश्रित  थे 
हर  भय ,डर   से मैं ही तुम को  उभारा  है 
और आज भी तुम मेरी ही चोखट 
के भिखारी  हो और सदा  रहोगे 
इसी  लिए तो  अब तुम  हीन  भावना  के 
शिकार  हो  गए हो
कितनी दयनीय  दशा  हो गई तुम्हारी
अब मुझ पर तुम्हारा कोई भी वार
काम  नहीं  करेगा
मैं तुम को पहचान  गई हूँ
..........सावधान .....
बाजी  आज मेरे हाथ  है षड़यंन्त्र की तो तुम  कोशिश
कभी कभी   मत करना
मेरी आँखों में अँगार है
और……तुम्हारा रोम-रोम
मेरा कर्जदार है
वो तो मनोरोगी  था , वो  उस को उसकी   यादस्थ  भी ठीक नहीं है अगर  ऐसा  था तो  उस ने  अपने घर मैं फांसी  क्यूँ नहीं लगाई
उस ने मेरी इज्जत  तार - तार  कैसे  कर दी  उस को तो ये दुनिया क्या या याद  ही  नहीं है

12 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामीदिसंबर 21, 2012

    "वो तो मनोरोगी था, वो उस को उसकी यादस्थ भी ठीक नहीं है अगर ऐसा था तो उस ने अपने घर मैं फांसी क्यूँ नहीं लगाई उस ने मेरी इज्जत तार - तार कैसे कर दी" जायज प्रश्न?

    मानवीय संबेदनाओं को समेटे मार्मिक प्रस्तुति

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    1. उस की बीवी मर गई थी वो बहुत हतास था
      वो तो मनोरोगी था उस की यादास्त ठीक नहीं थी
      क्या ये कारण काफी है एक बलात्कारी को बचाने
      और एक बलात्कारी से सहानुभूति रखने के लिए

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  2. देश का लचर-पचर कानून, ऐसा इसलिये हो रहा है।

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    उत्तर
    1. उस की बीवी मर गई थी वो बहुत हतास था
      वो तो मनोरोगी था उस की यादास्त ठीक नहीं थी
      क्या ये कारण काफी है एक बलात्कारी को बचाने
      और एक बलात्कारी से सहानुभूति रखने के लिए

      हटाएं
  3. ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है
    कभी दूर तो कभी क़रीब होते है

    देश का लचर-पचर कानून, ऐसा इसलिये हो रहा है।

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    1. कानून को दोष कब तक देने हम सब का दाईत्व
      पूरा हो जाता है

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  4. मेरी आँखों में अँगार है
    और……तुम्हारा रोम-रोम
    मेरा कर्जदार है
    वो तो मनोरोगी था , वो उस को उसकी यादस्थ भी ठीक नहीं है अगर ऐसा था तो उस ने अपने घर मैं फांसी क्यूँ नहीं लगाई
    उस ने मेरी इज्जत तार - तार कैसे कर दी उस को तो फांसी होनी ही चाहिए .............

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    1. sahi kaha apne
      par hota kah hai
      wo sab log next 6 month after wase hi ghoomte dikhai dete hain

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  5. हृदय विदारक..दर्द से भरी हुई रचना।।।

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  6. बहुत प्रभावी ... आक्रोश भरा है इस इस रचना में जो वाजिब है ...

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  7. ekdum sahi kaha aapne ...dil ko chhu gayi apki Rachna..

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