सोमवार, 23 जुलाई 2012

मेरे मन का दर्द


आजकल तो वक़त बदला बदला नज़र आता है |
इन  सालो में हवा का रुख भी मुड़ा मुड़ा नज़र आता है||
 दादा जी मेरे कहा करते थे पुराणी कहानिया
वो अपने  ज़माने  की बहुत सी निशानिया
की आज फिर वो नए नए कपडे पहने नज़र आता है |
आजकल तो वक़त बदला बदला नज़र आता है ||
खोखले लोग, सोच खोखली , खोखली बातें सारी।
दस्तूर दौर यही होगा रोएगी खोखल दुनिया सारी।
वो पुराणी बैठक  भी  भी तनहा तनहा जी लगती है || आजकल तो .......
 अब तो मेरे ज़माने का दस्तूर भी बदल गया  है
दवाईया, और दवाईया अस्पताल में सज  गया है  
मेरे   गावं  उन महोलो में दारू बेची जाती  है
मेरी बहनों को दहेज़ के लिए मरी पिटी जाती है
 कहा मैने भी ये नई नहीं वो आपकी रित पुराणी है
 सच कहू तो हमारी नहीं दादा जी ये आपकी निसानी है
आज फिर देखूं  तो इन्सान में  पैसा ही नज़र  आता है ||  आजकल तो,,,
 कल मैने  चलते चलते पूछ ली थी खबर  क्या है
खबर तो मुझे मिली पर  बदनामी की बू क्या है
घर आने मै देर क्या हुई   बहिन की नज़र भी क्या है
वो भी पूछ  बेठी गली की लड़की थो वो कोन ?
मां ने दादा जी ने भी कहा क्यूँ है तू मोन ?
मैं क्या बताऊ  वो थी कोन ?
सच कहू तो ये मेरी नहीं उनकी निगहबानी नज़र आती है ......
आजकल तो वक़त बदला बदला नज़र आता है |
इन  सालो में हवा का रुख भी मुड़ा मुड़ा नज़र आता है||



 

19 टिप्‍पणियां:

  1. बदलते समाज का चित्रण किया है इस रचना में ... लाजवाब ...

    जवाब देंहटाएं
  2. पारीक जी भाषा पर ध्यान अवश्य दें. आपके पास आइडियाज़ की कमी नहीं है. बदलते समाज और उसके रंग परिवर्तन का आपने बढ़िया खुलासा कर दिया है. बहुत खूब.

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल २४/७/१२ मंगल वार को चर्चा मंच पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप सादर आमंत्रित हैं

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन प्रस्‍तुति।

    जवाब देंहटाएं
  5. एक तीखा सच !
    बदलते समाज का सार्थक चित्रण ...

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बेहतरीन
    गहरे भाव लिए रचना..
    सुन्दर:-)

    जवाब देंहटाएं
  7. साहित्य समाज का दर्पण होता है. सही चित्रण.

    जवाब देंहटाएं
  8. दर्द ही दर्द है
    बड़ा ही बेदर्द है !

    जवाब देंहटाएं
  9. मन को भा जाने वाले भाव।

    बधाई।

    ............
    International Bloggers Conference!

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहतरीन लेखन.....

    शुभकामनाएं
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  11. सारगर्भित और विचारोत्तेजक सुंदर आलेख...

    जवाब देंहटाएं
  12. aaj ke samaijk parivesh ka yathochit vernan kiya hai,aapne, bahut umda prastuti ****badhai

    जवाब देंहटाएं
  13. अच्छी रचना, आज की सामाजिक स्थिति पर बहुत बढ़िया विवेचन. बधाई है. लिखते रहिये.

    जवाब देंहटाएं
  14. यथार्थ का चित्रण, शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत सुंदर ...दर्द ने झिंजोद दिया मन को

    जवाब देंहटाएं
  16. हवा का रुख मुडा मुडा नजर आता है ।

    क्या बात है बहुत सुंदर ।

    जवाब देंहटाएं