REPORT : ASHISH C TRIPATHI
कानपुर के बारे में ये चार बातें आपने पहले नहीं सुनी होंगी ;
कानपुर यूँ अपने आप में न जाने कितने ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर को समेटे हुए है। और साथ ही कभी पूरब के मैनचेस्टर के नाम से भी पुकारा जाता था। यहां पर चलने वाली मिलो में एल्गिन मिल, कटान मिल, लाल इमली आदि प्रमुख मिले थी । जिसमे शहर ही नहीं वरन कानपुर के आस पास के जिलों से लोग आकर कर काम किया करते थे। लेकिन समय के साथ लाल फीता साही और फण्ड की कमी की वजह से यह औद्योयोगिक नगरी धीरे धीरे अपनी औद्योगिक पहचान छोड़ती चली गई। लेकिन औद्योगिक अंत के साथ यहाँ शिक्षा का हब भी बनता चला गया। लेकिन कम ही लोग जानते होंगे की कानपुर के कुछ अनछुए पहलु जो आज से पहले आपने नहीं सुने होंगे।
आज इन्ही अनछुई जानकारियों से आपको रूबरू कराते है :
१- कानपुर का चिड़िया घर भारत के उन चुनिंदा चिड़िया घरो में से एक है जिसे प्राक्रतिक जंगलो से बनाया गया है।
२- कानपुर रामायण काल के कुछ यादे समेटे है जिसको सभी बिठूर में मिले कुछ तथ्यों के आधार पर जानते है लेकिन जाजमऊ के टीले की खुदाई में मिले बर्तनो से इस बात की पुख्ता पुष्टि हुई की कानपुर रामायण काल के समय का है। कार्बन डेटिंग के मुताबिक उन बर्तनों की उम्र रामायण काल के की है।
३- अगर गोल्फ खेलने के शौक़ीन है तो यह जानकर गर्व होगा की कोलकाता के बाद कानपुर में ही 9 होल गोल्फ हाफ कोर्ट स्थित है।
४- '' इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पल्स रिसर्च '' देश का और कानपुर का अपनी तरह का पहला इंस्टिट्यूट है जिसे भारतीय संस्थान दाल अनुसंधान केंद्र के नाम से भी जाना जाता है। इसकी स्थापना सं 1983 में इंडियन कौंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च द्वारा की गई थी। जिसे केंद्र सरकार द्वारा संचालित किया जाता है।
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