REPORT BY : ASHISH C TRIPATHI
आखिर क्यों हुआ कानपुर बॉलीवुड में चर्चित
कानपुर यूँ तो कभी उत्तर प्रदेश ही नहीं भारत का मैंचेस्टर कहा जाता था लेकिन समय के साथ साथ यहाँ का स्वरुप बदलता गया और आज कानपुर का नाम देश दुनिया में कानपुर के बोली और यहाँ के एरिया (मोहल्लो में ) के नाम से ज्यादा जाने जाना लगा है। आखिर क्या बात है जो कानपुर से लेकर बॉलीवुड तक यहाँ के एरिया चर्चित हो रहे है। क्या खास है यहाँ के एरिया (मोहल्लो में ) के नाम पर आइये जानते।
कानपुर नगर सीसामऊ, पटकापुर, कुरसवा, जूही और पुराना कानपुर के प्राचीन गांवों से मिलकर ही बनाई गई है। गावों के अन्तर्गत आने वाली भूमि से ही कानपुर जैसे नगर का निर्माण पर
हुआ और इसी के साथ मोहल्ले भी बनना शुरू हो गए कुछ अपनी विशेषता या उपलब्धि की वजह से पहचाने गए। बाद में कुछ मोहल्लों के नाम किसी विशेष परिस्थिति के कारण बदलते भी गए।
यहाँ बनी अंग्रेज़ो की पहली छावनी :
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात नगरों की जनसंख्या तेजी से बढ़ना शुरू हो गयी थी। इस शहर में अग्रेजों की छावनी स्थापित हो जाने से इसके विस्तार में विशेष सहायता मिली। पहले पहल छावनी जूही में स्थापित हुई, परन्तु वहा असुविधाएं होने के कारण यह वहां से उठकर गंगा किनारे जाजमऊ से पुराने कानपुर की ओर फैली। फलस्वरूप विभिन्न फौजी दफ्तरों, बाजारों और पड़ावों के नामों से शहर के अनेक नए मोहल्लों के नाम पड़े। छावनी के प्रमुख मोहल्लों में सदर बाजार, गीता बाजार, लालकुंआ इत्यादि। यहां के दैनिक जीवन से संबंध रखने वाले विभिन्न बाजारों की याद दिलाते है। बाद में लोकमन मोहाल, सीताराम मोहाल, मोती मोहाल, हरवंश मोहाल, तेलीयाना, मीरपुर आदि बस्तियां भी छावनी में शामिल हुई।
आज भी अंग्रज़ो की याद दिलाते यह एरिया :
छावनी की वजह से ही महानगर के डेढ़ दर्जन मोहल्लों के नाम ब्रिटिश हुक्मरानों के नाम पर आज भी पुकार जाते है। जैसे- अल्बर्ट रोड, ऐलनगंज, कोपरगंज, मेस्टन रोड, मंकर्रावटगंज, हैरिसगंज, वेस्टन रोड, टर्नर रोड, शूटरगंज इत्यादि, यह विडम्बना ही है कि आजादी के 'साठ वर्ष' बीत जाने के बावजूद कई मोहल्लो को आज भी इन्ही नामों से पुकारा जा रहा है।
आज़ादी के बाद कई एरिया का हुआ नया नामकरण :
अब आजादी के बाद इन मोहल्लों का नया नामकरण करा जा चुका है। आजादी के बाद बिरहाना रोड का नाम कस्तूरबा गांधी मार्ग, लाटूश रोड का सरदार बल्लभ भाई पटेल मार्ग दिया जा चुका है। 1857 तक कानपुर के कुल 71 मोहल्ले थे। जिनमें शहर की आबादी का बढ़ना लगातार जारी है। यहां कुछ प्राचीन एवं नव विकसित मोहल्लो के नामकरण की भी रोचक दास्तां है।
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