Report :Ashish C Tripathi
शनि के राशि परिवर्तन कुम्भ से मकर में प्रवेश करते ही एक अज़ब संयोग बनेगा। यूँ तो प्रत्येक ढाई साल में राशि परिवर्तन करते है और ३० साल का एक चक्र पूरा करके पुनः उस राशि पर आ जाते है। लेकिन इस बार मकर राशि में शनि के प्रवेश वाले दिन ही मौनीअमवस्या भी है। ऐसा दुर्लभ संयोग 382 साल पहले २६ जनवरी 1637 को बना था और इस बार फिर अर्थात 382 साल बाद फिर वही संयोग बन रहा है।
अजब संयोग गज़ब खगोलीय घटना :
शुक्रवार को राशि परिवर्तन के साथ ही एक अज़ब सी खगोलीय घटना घटित होगी। जिसमे पृथ्वी चंद्र और शनि शामिल होंगे। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि शनि के राशि परिवर्तन के साथ शनि जहा शुन्य अंश और अमावस का दिन होने के साथ शनि चंद्र के निकट होंगे और साथ ही चंद्र पृथ्वी के निकट जिससे शनि चंद्र और पृथ्वी तीनो ही ग्रह एक सीध में आ जायेंगे।
मौनी अमावस्या क्यों है महत्वपूर्ण:
यूं तो हर माह अमावस्या की तिथि आती है लेकिन सोमवती अमावस्या, शनैश्चरी अमावस्या और माघ माह में आने वाली मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है।मौनी अमावस्या को सबसे बड़ी अमावस्या माना गया है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान कर अक्षय पुण्यफल की प्राप्त की जा सकती है। जो मनुष्य इस प्रातः काल गंगा, यमुना आदि नदियों में स्नान करके सच्चे मन से दान करता है। उस पर समस्त ग्रह-नक्षत्रों की कृपा बनी रहती है। इस दिन मौन रहने से इंसान को पुण्य लौक की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा की जाती है। पीपल वृक्ष को अर्ध्य देकर परिक्रमा करने और दीप दान करना शुभ माना गया है। जो भी व्यक्ति इस दिन अगर व्रत नहीं रख सकते वह मीठे भोजन का सेवन करें। मौनी अमावस्या जैसे की नाम से ही स्पष्ट होता है, इस दिन मौन रहकर स्नान,दान, व्रत रखना चाहिए। केवल इतना ही नहीं, मौनी अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से पितरों की आत्मा की शांति और उनसे आशीर्वाद भी मिलता है।
मौनी अमावस्या का शास्त्रों में महत्व :
इस वर्ष मौनी अमावस्या 23 जनवरी रात्रि से 25 जनवरी की मध्य रात्रि तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार माघ मास की अमवस्या को मौनी अमवस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन प्रातः काल में उठ कर स्नान और दान करने का अपना ही महत्व है इससे आध्यात्मिक विकास होता है।
इस दिन ही मनु ऋषि का जन्म दिवस भी मनाया जाता है। इस दिन ऋषियीं और पितृ की पूजा करके सौभाग्य की कामना की जाती है। शनि देव का जन्म दिन भी अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। शनि देव राशि परिवर्तन भी अमावस्या तिथि को ही कर रहे हैं। इस कारण भी यह तिथि महत्वपूर्ण है। वैसे शनिदेव का जन्मदिन ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को ही मान्य जाता है जो इस वर्ष 22 मई को है।
मकर राशि में प्रवेश से शनि किसको क्या देंगे :
ज्योतिष आचार्यो के मुताबिक शनि के मकर राशि में प्रवेश करने से जहा सोना चाँदी व पेट्रोल के मूल्यों में वृद्धि होगी वही धर्म और आध्यात्म के क्षेत्र में कार्य करने वालो के रुके हुए कार्य पुरे होंगे।
कृषि के क्षेत्र में कार्य करने वालो के लिए लाभ होगा उद्योग और धंधो की रुकी हुए कार्य तेज़ी पकड़ेंगे। निर्माण का कार्य करने वाले क्षेत्र मे सुस्ती रह सकती है।
राजनीती के क्षेत्र में अगर बात करे तो क्षेत्रीय दलों की साख बढ़ेगी। लेकिन राजनितिक पार्टियों मे टकराव व गठबंध में भी टूटने की सम्भावना है। न्याय के कारक शनि देव के मकर राशि में आने से न्याय के क्षत्र में तेज़ी से फैसले होंगे और देश की न्याय व्यवस्था भी सुद्रण होगी।
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