ना मुझे प्यार करने का हक है ? ना मुझे इकरार करने का हक है ?
मुझे तो बस ,हर किसी के इशारों पे नाचने का ही हक है ||
ना मुझे कुछ पाने का हक है ? .... मुझे तो बस हर ................
पापा तो हर मेहमान से कहते है
ये मेरी प्यारी है ये मेरी राजकुमारी है, नाजो से पाला है
बस एक रंग का फर्क है , बस थोड़ी सी काली है
मुझ पर तो आसमान ही टूट पड़ा
सुनकर इतना मिटटी से मूर्त बन गई|
हर ख़ुशी टूट गई एक सीरत बन गई ||
मन टूट - टूट कर बिखर गया , हर ख़ुशी लुट गई
मन के दिये तो कब के बुझ गए थे , अब दुनीया लुट गई ||
मुझे तो एक रंग का फर्क भी आज समझ मैं आया है
मुझे पैदा होने से पहले क्यों नहीं मार दिया
मिटटी को तो मिटटी में ही मिलना था , क्यों नहीं मुझे मिटटी में ढाल दिया ||
अब तो अपने ही पराये लगते है अपने ही घर मैं अजीब -अजीब साये दीखते है
बस मेरे हाथ मैं एक फोटो थमा दिया |
बस तू इसे प्यार कर ये हुकम सुना दिया ||
कैसे करू मैं एक अजनबी से प्यार , कैसे ना करू मैं मुझ से प्यार
ना इस को मुझ से प्यार है , ना आपको , ना इस दुनीया को
ना उस खुदा को जिस ने मुझ मैं बे रंग भरे है
क्या मुझे इतना पूछने का हक है ?
क्या काले रंग की लड़की की शादी नहीं होती ?
क्या वो बोझ होती है ?
क्या उन को प्यार करने का हक नहीं?
क्या उनको जीने का हक नहीं ?
क्यों नहीं है जीने का हक़ ?
जवाब देंहटाएंवो कहावत नहीं सुनी.. " सुंदर सलोनी... साँवली सी सूरत, मोहिनी मूरत !"
और वो गीत भी... " दिल को देखो, चेहरा ना देखो..." और.. "गोरे रंग पे इतना गुमान कर..."
इंसान दिल से सुंदर होता है, चेहरे से नहीं ! इसलिए अपने मन के उल्टे-सीधे विचारों को रोक लीजिए !
और मुस्कुराइये कि आप दिल से खूबसूरत हैं.... :-)
सही और सार्थक सन्देश
जवाब देंहटाएंकमावण लागया रूपली जद हुया जवान
जवाब देंहटाएंकागद रो जग जीत गे हू या घणा परेशान
जग भुल्या घर भुलग्या , भुलग्या गाँव समाज
गाँव री बेठक भूल्या , भुलग्या खेत खलिहान
बचपन भुलया, बड़पण भुलया, भुलया गळी -गुवाड़
बा बाड़ा री बाड़ कुदणी, पिंपळ री झुरणी बो संगळया रो साथ
कद याद ना आव बडीया बापड़ी , घणा दिना सूं ताऊ
काको भूल्या दादों भूल्या , बोळा दिना सूं भूल्या माऊ
इण कागद री माया घणेरी यो कागद बड़ो बलवान
कागद रो जग जीत गे हू या घणा परेशान
गाँव रो खेल भूल्या, बचपण मेल रो भूल्या
गायां खूँटो भूल्या , पिंपळ रो गटो भूल्या
राताँ री बाताँ बिसराई , मांग्योड़ी छा बिसराई
धन धन में भाजताँ बाजरी गी ठंडी रोटी बिसराई
चंद लम्हो से मिनट , मिनट से घंटे
जवाब देंहटाएंघंटो से तर-बतर पल-पल दिन जया करते है
कभी-कभी हम किसी एक को याद रखने मे
किसी ओर को भी तो भूल जया करते है
गर्मी सर्दी वर्षा बसंत बहार
हर साल ये जरूर आया करते है
मोसम तो आते जाते रहते जानी
लेकिन सायद ही कभी भूले याद आया करते है
ये तो जालिम जमाने का दोष है भाई
हम तो बहुत याद करने की कोशिश करते
कभी-कभी तो पास आ कर ठहर जाया करते है
क्या करे हर बार ये कमबख्त काम आ जया करते है
बहाने नहीं है ये दोस्त मेरे सच है
जिंदगी के सफर में कभी-क भूले बिसरे भी याद आया करते है
bhaiya is ko yaha nahi blog par post karana tha
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