बुधवार, 22 अगस्त 2012

पुराने रास्ते


  मंजर  भी वही  था रास्ते अलग थे
मंजिल वही थी पर हमसफ़र अलग थे
कहानी वही थी पर सपने अलग थे
आवाज़ वही थी पर कदम अलग थे
 चाँद भी  आराम पे था रास्ता भी सुनसान था
पीछे से आवाज़ आयी मैं कुछ हेरान था
मैं कुछ चोंका मैं कुछ ठिठका
मन  मैं कुछ खटका हाथ से मते कुछ चटका
तुम कहा चले ? हमें था इतंजार तेरा
बेसर्मो की तरह चले जा रहे हो
 मंजिल की तरफ  बढे जा रहे हो
मैं वही हूँ रास्ता पुराना तेरा
मैं वही हूँ  हमसफ़र पुराना तेरा
अब मैं क्या कहू साथी मेरे
हम तो दुनिया से अलग थे
मंजिल मेरे यार तो अब और तब भी वही थी
तब दोस्त हम थे  और दुश्मन तुम थे
लोग कस्तिया बदलते थे | तुम हमसफ़र बदल ते थे
नशीब तो मेरे साथ नहीं था पर तुम मेरे साथ कहा थे
  मंजर  भी वही  था रास्ते अलग थे
मंजिल वही थी पर हमसफ़र अलग थे




32 टिप्‍पणियां:

  1. मन में उठते भाव शब्दों में ढाल दिये हैं आपने ...बहुत खूब ..

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  2. बहुत अच्छा प्रयास है ..निरंतर बनाए रखो ...

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  3. बहुत अच्छा प्रयास है ...

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  4. शानदार....
    बेहतरीन रचना.....

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति!मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  6. बहुत खूब. सुंदर रचना.

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  7. यही होता है तू नहीं तो और सही और नहीं तो और सही .....

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  8. कुछ और तराशा जाना चाहिए इस तस्वीर को

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  9. सार्थक सृजन , आभार.

    मेरे ब्लॉग " meri kavitayen "की नवीनतम पोस्ट पर आपका स्वागत है .

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  10. मंजर भी वही था रास्ते अलग थे
    मंजिल वही थी पर हमसफ़र अलग थे
    ..samay-samay ki baat..kab kaun badal jaay kah nahi sakte ..
    bahut badiya rachna

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  11. सुन्दर भावपूर्ण कविता के लिए बधाई....!

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  12. मंजर भी वही था रास्ते अलग थे
    मंजिल वही थी पर हमसफ़र अलग थे

    ...बहुत खूब! सुन्दर प्रस्तुति...

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  13. बहुत ही अच्‍छी लगी आपकी यह प्रस्‍तुति... आभार।मेरे नए पोस्ट "प्रेम सरोवर" के नवीनतम पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है।

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  14. बहुत ही अच्‍छी लगी आपकी यह प्रस्‍तुति... आभार।मेरे नए पोस्ट "प्रेम सरोवर" के नवीनतम पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है।

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  15. तुम कहा चले ? हमें था इतंजार तेरा
    बेसर्मो की तरह चले जा रहे हो
    मंजिल की तरफ बढे जा रहे हो
    मैं वही हूँ रास्ता पुराना तेरा
    मैं वही हूँ हमसफ़र पुराना तेरा
    अब मैं क्या कहू साथी मेरे
    हम तो दुनिया से अलग थे

    bahut hi sundar prabhavshali rachana lagi ....sadar dhanyvad dinesh ji

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  16. लोग कस्तिया बदलते थे | तुम हमसफ़र बदल ते थे
    नशीब तो मेरे साथ नहीं था पर तुम मेरे साथ कहा थे
    मंजर भी वही था रास्ते अलग थे
    मंजिल वही थी पर हमसफ़र अलग थे

    लोग किश्तियाँ ..................
    नसीब .....................................................कहाँ ...
    बढ़िया प्रस्तुति है कृपया यहाँ भी पधारे -
    ram ram bhai
    बृहस्पतिवार, 30 अगस्त 2012
    अस्थि-सुषिर -ता (अस्थि -क्षय ,अस्थि भंगुरता )यानी अस्थियों की दुर्बलता और भंगुरता का एक रोग है ओस्टियोपोसोसिस
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

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  17. लोग कस्तिया बदलते थे | तुम हमसफ़र बदल ते थे
    नशीब तो मेरे साथ नहीं था पर तुम मेरे साथ कहा थे
    मंजर भी वही था रास्ते अलग थे
    मंजिल वही थी पर हमसफ़र अलग थे

    लोग किश्तियाँ ..................
    नसीब .....................................................कहाँ ...
    बढ़िया प्रस्तुति है कृपया यहाँ भी पधारे -
    ram ram bhai
    बृहस्पतिवार, 30 अगस्त 2012
    अस्थि-सुषिर -ता (अस्थि -क्षय ,अस्थि भंगुरता )यानी अस्थियों की दुर्बलता और भंगुरता का एक रोग है ओस्टियोपोसोसिस
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

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  18. बहुत ही अच्‍छी पोस्‍ट। मेरे नए पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है। धन्यवाद।

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  19. आदरणीय सुश्रीसंगीताजी,

    "रास्ते पुराने पर हम दुनिया से अलग..!"

    बहुत ही बढ़िया ख़्याल पेश किया है । आपका अनेकानेक धन्यवाद ।

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  20. just one word outstanding.

    Teena

    Meri post first time, read it.

    Udaari Dosti di.

    Udata panchhi.

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  21. मंजिल मेरे यार तो अब और तब भी वही थी
    तब दोस्त हम थे और दुश्मन तुम थे
    लोग कस्तिया बदलते थे | तुम हमसफ़र बदल ते थे
    kahaun in bhavon ke samne nihshabd hoon
    rachana

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