बुधवार, 25 जुलाई 2012

रात भर...


करके वादा कोई सो गया चैन से 
करवटें बदलते रहे हम रात भर !!१!!
हसरतें दिल में घुट-घुट के मरती रही 
और जनाज़े निकलते रहे रात भर !!२!!
रात भर चांदनी से लिपटे रहे वो 
हम अपने हाथ मलते रहे रात भर !!३!!
आबरू क्या बचाते वह गुलशन कि 
खुद कलियाँ मसलते रहे रात भर !!४!!
हमको पीने को एक कतरा भी न मिला 
और दौर पर दौर चलते रहे रात भर !!५!!
रौशनी हमें दे ना पाए यह चिराग अब 
यूँ तो कहने को वो जलते रहे रात भर !!६!!
छत में लेट टटोले हमने आसमान 
अश्क इन आँखों से ढलते रहे रात भर !!७!!
.........नीलकमल वैष्णव "अनिश".........

9 टिप्‍पणियां:

  1. छत में लेट टटोले हमने आसमान
    अश्क इन आँखों से ढलते रहे रात भर

    बहुत खूब ....

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  2. हमको पीने को एक कतरा भी न मिला 
    और दौर पर दौर चलते रहे रात भर !
    Bahut hi shandaar rachna...

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  3. बहुत सुन्दर....
    छत में लेट टटोले हमने आसमान
    अश्क इन आँखों से ढलते रहे रात भर

    लाजवाब !!!!

    अनु

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  4. बहुत सुन्दर और सार्थक सृजन , बधाई.

    कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" पर भी पधारें, प्रतीक्षा है आपकी .

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  5. रौशनी हमें दे ना पाए यह चिराग अब
    यूँ तो कहने को वो जलते रहे रात भर !!६!!
    छत में लेट टटोले हमने आसमान
    रचना बहुत अच्छी है भावाभिव्यक्ति लाज़वाब है ,यह के स्थान पर "ये "आना चाहिए चराग एक से ज्यादा हैं "रौशनी हमें दे ना पाए ....रात भर

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  6. हमको पीने को एक कतरा भी न मिला
    और दौर पर दौर चलते रहे रात भर ...

    वाह ... जिंदगी की रीत को खूबसूरती से शब्दों में बाँधा है आपने ... लाजवाब शेर हैं सभी ...

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  7. बेहद सुंदर गज़ल सारे दर्द को अपने अंदर समेटे हुए ।

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