बोलो खरीदोगे ?
यहाँ जिंदगी बिकती है बिकती है मौत यहाँ
यहाँ लाश बिकती है बिकता है जिश्म यहाँ
यहाँ भक्त बिकते
है बिकते है भगवान यहाँ
बोलो खरीदोगे ?
यहाँ डाक्टर बिकते है बिकते है ईमान यहाँ
बिकते है नेता यहाँ बिकती है जुबान यहाँ
बिकते है अपराध यहाँ बेचती है पुलिस यहाँ
बोलो खरीदोगे ?
बिकती है इज्ज़त यहाँ बिकती है शर्म ओ हया
बिकती है बेटी यहाँ बिकती है बहने यहाँ
बिकती है ममता यहाँ बेचती है माँ यहाँ
बोलो खरीदोगे ?
बिक रहा है ईमान यहाँ बेच रहे ईमानदारी यहाँ
बिक रहा गुनाह यहाँ बेच रहे गुनहगार यहाँ
बिक रहा देश यहाँ बिक रहे देशवाशी यहाँ
बोलो खरीदोगे ?
आशीष त्रिपाठी
एक पुराना फ़िल्मी गीत याद आ गया...
जवाब देंहटाएंदूल्हा बिकता है बोलो खरीदोगे...गीत दहेज प्रथा के खिलाफ था ..
सार्थक रचना..
कल 18/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
bahut accha likha hai....aaj ki halat ko maddenazar rakhte hue likhi gayi rachna.....nicee
जवाब देंहटाएंbahut hi sahi , halat ke anusar rachna ke har shabd......
जवाब देंहटाएंआज की स्थिति का सटीक चित्रण
जवाब देंहटाएंsach. yahan sab kuchh bikta hai.
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