बोलो खरीदोगे ?
यहाँ जिंदगी बिकती है बिकती है मौत यहाँ
यहाँ लाश बिकती है बिकता है जिश्म यहाँ
यहाँ भक्त बिकते
है बिकते है भगवान यहाँ
बोलो खरीदोगे ?
यहाँ डाक्टर बिकते है बिकते है ईमान यहाँ
बिकते है नेता यहाँ बिकती है जुबान यहाँ
बिकते है अपराध यहाँ बेचती है पुलिस यहाँ
बोलो खरीदोगे ?
बिकती है इज्ज़त यहाँ बिकती है शर्म ओ हया
बिकती है बेटी यहाँ बिकती है बहने यहाँ
बिकती है ममता यहाँ बेचती है माँ यहाँ
बोलो खरीदोगे ?
बिक रहा है ईमान यहाँ बेच रहे ईमानदारी यहाँ
बिक रहा गुनाह यहाँ बेच रहे गुनहगार यहाँ
बिक रहा देश यहाँ बिक रहे देशवाशी यहाँ
बोलो खरीदोगे ?
आशीष त्रिपाठी
एक पुराना फ़िल्मी गीत याद आ गया...
जवाब देंहटाएंदूल्हा बिकता है बोलो खरीदोगे...गीत दहेज प्रथा के खिलाफ था ..
सार्थक रचना..
bahut accha likha hai....aaj ki halat ko maddenazar rakhte hue likhi gayi rachna.....nicee
जवाब देंहटाएंbahut hi sahi , halat ke anusar rachna ke har shabd......
जवाब देंहटाएंआज की स्थिति का सटीक चित्रण
जवाब देंहटाएंsach. yahan sab kuchh bikta hai.
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