जी हाँ, मात्र यहीँ नहीँ और कई बातेँ को सुनकर आपको भी आपको आश्चर्य होगा , मसलन
- क्या झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों का साथ देती थीं?
- क्या स्वामी विवेकानंद ने लोगों को गोमांस खाने को कहा था?
- क्या लक्ष्मण की सीता के प्रति कामभावना थी?
- स्वामी विवेकानन्द ने गोमांस खाने की वकालत की थी.
यह खबर नवभारत टाइम्स मेँ छपी. इससे पहले की हम कोई वैचारिक समर का आगाज़ करेँ आईये पहले खबर पर नज़र डालेँ . भारत के इतिहास से जुड़े ये अजीब-ओ-गरीब दावे अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी की प्रफेसर वेंडी डोनिगर ने अपनी किताब ’द हिंदू- ऐन ऑल्टरनेटिव हिस्ट्री’ में किए हैं। इस किताब को लेकर भारत और अमेरिका में खासा विरोध हो रहा है। इसी विरोध के चलते किताब को अमेरिका में मिलनेवाला एक पुरस्कार भी रोक दिया गया। मंगलवार को शिक्षा बचाओ आंदोलन नामक एक संगठन ने दिल्ली समेत देश के कई भागों में इस किताब के खिलाफ प्रदर्शन किया और इस पर दुनियाभर में बैन लगाए जाने की मांग की। अमेरिकी दूतावास के सामने प्रदर्शन के बाद संगठन के संयोजक दीनानाथ बत्रा ने कहा कि इस किताब की लेखिका ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर भारतीय इतिहास को पेश किया है, जो सरासर गलत है। इस किताब कोपेंगुइन बुक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने छापा है। संगठन इस पब्लिशिंग हाउस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने पर भी विचार कर रहा है। संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अगर इस किताब पर महीने भर के भीतर बैन नहीं लगाया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। सामाजिक संगठनों ने एक अमरीकी प्रोफेसर की हिन्दू धर्म, भारतीय संस्कृति और महापुरूषों को अपमानित करने वाली पुस्तक द हिन्दू एन अल्टरनेटिव हिस्ट्री पर पूरे विश्व में प्रतिबंध लगाने की मांग की है . शिक्षा बचाओ आन्दोलन समिति के नेतृत्व में इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कार्यकर्ताओं ने आज यहां अमरीकी दूतावास के सामने प्रदर्शन किया और गिरफ्तारी दी। प्रदर्शनकारियों ने भारत में अमरीका के राजदूत को ज्ञापन भी दिया। समिति के राष्ट्रीय संयोजक दीनानाथ बत्ना ने आरोप लगाया है कि पुस्तक की लेखिका शिकागो विश्वविद्यालय की प्रो. वेंडी डोनिगर ने भारत के इतिहास और हिन्दुओं के बारे में घृणा भरी मानसिकता से निराधार तथा अस्पष्ट वर्णन किया है। उन्होंने दावा किया है कि पुस्तक में भगवान श्रीकृष्ण, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के बारे में आधारहीन और आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई हैं। उन्होंने कहा है कि इस पुस्तक के खिलाफ भारत और अमरीका में आंदोलन जारी हैं तथा इन्हीं आंदोलनों के चलते वेंडी डोनिगर को अमरीका का राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार देने पर रोक भी लगा दी गई है। श्री बत्ना ने कहा कि यदि इस पुस्तक पर एक महीने के भीतर रोक नहीं लगाई गई तो भारत के अलावा दुनिया भर में इसके खिलाफ आंदोलन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि पुस्तक की लेखिका और पुस्तक के प्रकाशक पेंगुइन बुक्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ कानूनी कार्रवाही भी की जायेगी। अमरीकी राजदूत को दिये गये ज्ञापन में कहा गया है कि इस पुस्तक में दी गई जानकारी कपोल कल्पित तथा आधारहीन है और भारत के लोग इससे बहुत अधिक आहत हैं। राजदूत से पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने के साथ साथ लेखिका के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की मांग की गई है। श्री बत्ना ने कहा कि उन्होंने इस मामले को अमरीकी राष्ट्रपति के संज्ञान में लाने के लिए उन्हें भी पत्न लिखा है।http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/5973729.cms=================================================================================
अब इस लेखिका का परिचय देखेँ :
आए दिन ऐसी खबरेँ आती रहती हैँ, जब हिन्दूओँ की आस्था पर प्रहार किया जाता है. कभी भगवान गणेश की तस्वीर गोरी माडलोँ की अंत:वस्त्रोँ पर, कभी भगवान राम और मैया सीता उनके जूतोँ मेँ तो कभी हनुमान को दानव बता कर पेश किया जाना. इन गैर हिन्दू धर्मोँ के ऐसे नाज़ायज पिल्लोँ को यह बात सिधी तौर पर समझ नही आती. यह सब कुछ, हिन्दूओँ के खिलाफ और हमारी संस्कृति के खिलाफ विश्वस्तर पर जारी एक बड़े षड़यंत्र का हिस्सा है . आज की नवयुवा पीढ़ी जो वास्तविक जीवन पद्धति में पूरी तरह क्रिस्चन हो चुकी है. हिन्दू तो केवल जन्म से है . उसके विचार , संस्कार और मूल्य सभी को क्रिस्चन बना दिया गया . अंग्रेजी भाषा में बाकायदा एक शब्द है , जो लिटररी है “Christianize” जिसको कुछ इस तरह परिभाषित किया जाता है .
1Christianize – adapt in the name of Christianity; “some people want to Christianize ancient pagan sites”adapt, accommodate – make fit for, or change to suit a new purpose; “Adapt our native cuisine to the available food resources of the new country”
2. Christianize – convert to Christianity; “missionaries have tried to Christianize native people all over the world”Christianiseconvert – cause to adopt a new or different faith; “The missionaries converted the Indian population”
अब इस पुरे अर्थ को देखें तो उनकी मानसिकता समझ में आ जाती है . वास्तव में शब्द और उसके अध्ययन के फलस्वरूप उपजे भाव , हमारे विचारों और संस्कारों को प्रभावित करते हैं . एक तो इस गुलामीपसंद और पश्चिम के पिछवाड़े से आती बू को अपने घर की अगरबती मानने वाली कांग्रेस सरकार ने, हमारी अपनी भाषा की उपेक्षा कर अन्ग्रेज़िअत का जामा पूरे राष्ट्र को पहनने को विवश कर दिया . दूजे अपने कोढ़ग्रष्ट योजनाओं और राष्ट्रभाषा की उपेक्षा से हिंदी को लगातार हाशिये पर धकेलती जा रही है . अब अंग्रेजी को अपनी प्राथमिक भाषा मानने वाकी आज की युवा पीढ़ी के समक्ष जो ज्ञान का श्रोत है वह इसी तरह की दोगले लेखकों का है . यानी अधिकांश स्तरीय पठनीय सामग्री अब अंग्रेज़ी मेँ ही उप्लब्ध होती है . यहाँ तक की कई देशी लेखक को कलम की वेश्यावृति को अपना चुके है , विदेश के आये पैसों पर पलना और इउनके प्रोपगंडा को यहाँ बढ़ावा देना हीं अपना धर्म मान बैठें हैं. आज अंतरजाल पर हिंदी की दुर्दशा का आलम यह है की आप अगर ” बहन ” या “दीदी ” शब्द को गूगल पर खोजें तो सबसे पहले मस्तराम की कहानियों की लम्बी फेहरिश्त हीं आती है . यह सब कुछ निगरानी तंत्र और सरकार की नज़रों से छुपा तो नहीं है . फिर क्यों हिंदी को अपमानित किया जा रहा है. टी वी सिरिअल ने तो नाश मारी है . मुझे ऐसे निर्देशकों और पटकथा लेखको को ” माँ का दलाल ” कहते हुए कोई अतिश्योक्ति नहीं दिखती . राष्ट्रभाषा ” हिंदी ” की गरिमा , मर्यादा और स्वरूप को शालीनता , उर्वरता और नई उचाईयाँ देने के बजाये उसका नैतिक और चारित्रिक पतन को अपना आदर्श मान बैठे ऐसे हीं लोगों ने हिंदी को बर्बाद कर दिया है . आपको यह लगता है की भाषा और उपर्युक्त विषय का क्या लगाव . ? लगाव है .. उसे समझाने के लिए यह जानना जरोरी है की , किस तरह के पूरे भारत की संस्कृति का इशाईकरण का खेल खेला जा रहा है .
पहला चरण , जो अब पूरा हो चूका है , वह था भारत में अंग्रेजी को व्यवसायिक भाषा और जीविका – उपार्जन की भाषा बनाना . इसके साथ साथ भारत में मकौले की शिक्षा पद्धति को बरकरार रखते हुए , नयी पीढ़ी की सोच और समझ का इशाईकरण . यह चरण पूरा हो गया . आज हम पश्चिम को सभ्य , शिक्षित और सुसंस्कृत मानते हैं . हमारी संस्कृति हमें ढकोसला और ढोंग नज़र आती है . कुछ दिनों पहले , एक न्यूज चैनल की टीम ने दिल्ली के कई नामि – गिरामी कालेजो में दौरा किया . वहां पढकर लौट रहे लडको से पूछा गया कि ” भगवन विष्णु ” का वाहन कौन है . यकीं मानिये ! जवाब इस तरह थे , चूहा , हनुमान , रथ , हाथी और चक्र .. . अब पहले चरण कि सफलता तो तय हो गयी.
भारत कि आज कि पीढ़ी , खास तौर पर जो मेट्रो कल्चर का हिस्सा है . वह अपने को हिन्दू नहीं कह सकती . तमाम हिन्दू मान्यताओं और आस्था पर लगातार आघात हो रहे हैं . कभी राम के अस्तित्व पर सवाल, कभी ज्योतिष विज्ञान को ढोंग कहना और सेकुलरिज्म के नाम पर तो हिन्दुओं का बौद्धिक बलात्कार लगातार जारी है . अब अगले चरण में ऐसे हीं विवादों और नए शोध और पाठ्क्रमों की आड़ में तमाम ” आस्था” के प्रतीकों को बदनाम करना है . क्यों की जीवित आदर्श तो अब बचे नहीं . तमाम मठाधीश और धर्मे ठेकेदार, बाबा बाज़ार में बिक रहे हैं . तो जो आदर्श हमारे मन -मस्तिस्क और हमारे जीवन शैली में विद्धमान हैं , उन्हें मिटाने की यह गहरी साजिश है . शर्म आती है ऐसे हिंदों पर जिनके नशों में अब खून नहीं दौड़ता , जिनके जीवन का मकसद सिर्फ बेड और ब्रेड हीं रह गया है . जिनको कभी इस बात पर ऐतराज़ नहीं होता की हमारे आदर्शो को ऐसे दो कौड़ी के नाजायज़ लेखकों और वैश्या- संस्कृति (पाश्चात्य संस्कृति ) का शिकार बनना पड़ रहा है . मान्यताओं के विध्वंस , आदर्शो के संक्रमण का यह खेल जब तक एक-एक हिन्दू को समझना होगा . नहीं तो वह दिन दूर नहीं , जब एक बार फिर हिन्दुओं के बहू- बेटीओं के बोली , उनके अंगो के आकर की घोषणा कर , सरेआम चौक और चौराहे पर लगाई जाएगी . तब वह अफगानिस्तान था ,पर अब हिंदुस्तान होगा .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें