तेरी यह मायूसी बन जाती है बेचैनी मेरी ज़िंदगी से तेरा खफा होना, लगे ज़िंदगी है ख़फा मेरी तेरी सासों से मैं खुद सास लेती हूँ चहरे पे उदासी तेरी, लगती है हार मुझे अपनी
मेरे लिए क्या चाँद क्या सूरज क्या तारे तू साथ हो तो सब लगते है अपने प्यारे पर तू रूठा है इस्कदर खुद से ही लगे तूफान आया हो मिटाने पहचान मेरी
तेरी हसी पे घायल हुए थे, निराली तेरी हर अदा तेरी मोहब्बत को आपना समझ जी रहे थे तू अब ना जा छोड़ के, ना हो मुझसे जुदा तेरे बिन हर रंग फीका लगता है आँखो को मेरी
रजनी
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!
शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंachha likha hai aapne....
जवाब देंहटाएंhttp://teri-galatfahmi.blogspot.com/
अच्छी रचना के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुन्दर सारगर्भित रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , आभार
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.
Pareek ji
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन और स्वाधीनता दिवस पर्वों की शुभकामनाओं के साथ आपकी खूबसूरत प्रस्तुति के लिए बधाई
sunder rachna
जवाब देंहटाएंना हो मुझसे जुदा तेरे बिन हर रंग फीका लगता है
जवाब देंहटाएंkhubsurat ehsaah
तेरी यह मायूसी बन जाती है बेचैनी मेरी ज़िंदगी से तेरा खफा होना, लगे ज़िंदगी है ख़फा मेरी तेरी सासों से wah!!!!! kabhi mere blog par bhi aana ................
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