आदतन मैं हंसता रहा कभी किया न कोई गिला
तू ही बता ऐ जिन्दगी मुझे तुझसे है क्या मिला
कितने हंसी कितने जंवा खडे हुये थे हर मोड पर
तेरी नवाजिशों का असर न मिला मुझे वफ़ा का सिला
कितने मौसम गुजर गये इक खुशी के इन्तजार में
भेज दी तूने खिजां जब दश्ते-दिल में एक गुल खिला
राहे-सफ़र में मुसलसिल मुसाफ़िरों की भारी भीड थी
जाने फ़िर भी क्यूं लुटा सिर्फ़ मेरे प्यार का ही काफ़िला
अजनवी सा क्यों आज है जो दोस्ती का दम भरता रहा
गनीमत है कह कर नही तोडा उसने दोस्ती का सिलसिला
आदतन मैं हंसता रहा कभी किया न कोई गिला
तू ही बता ऐ जिन्दगी मुझे तुझसे है क्या मिला
कितने मौसम गुजर गये इक खुशी के इन्तजार में
जवाब देंहटाएंभेज दी तूने खिजां जब दश्ते-दिल में एक गुल खिला
saras,karun ahsas..bhigo gaya antarman ko.......thanks.
देश का उद्धार हो और बढ़े अपना वतन
जवाब देंहटाएंछोड़ दे होशियारिया ना बने देश के दुश्मन
देश मे ही हमारी जान है
देश से ही हमारी पहचान है
अपने ही देश को जो लूटते
वो महा बैईमान है
अब नही करने देंगे देश का उनको हनन
बचाएँगे इस देश को ये तो है अपना चमन..
बुद्ध, कबीरा, नानका के देश मे,
जहा जन्मी मीरा, सीता, अहिल्या नारियो के वेश मे
होगा फिर नव सृजन
जिस देश से लोगो ने ली हो
साधना की शिक्षा
क्यूँ माँगे नैतिक मूल्यो की भिक्षा
नही करने देंगे देश का अब और खनन
अब नही होगा देश का नैतिक पतन...नैतिक पतन
करते रहेंगे देश को शत शत नमन शत शत नमन.