वो उस दिन लेटा था
बिस्तर पर मैं सुन रहा था
वो दिवाली की रात
धमाके पटाखों की
एक चिंगारी उसकी जिंदगी पर
भी आ गिरी थी
साँसों की लड़ी
जल रही थी अंदर उसके
और धुँआ निकल रहा था
मुँह से
बनकर खून भरी उल्टियाँ
उस रोज मेरा खून भी
सुलगते लाल लोहे की तरह नजर आ रहा था
तभी उसके दिल में
एक जोर का धमाका हुआ
मैं भी जोर से चीखा था उस दिन
डॉक्टर्स को पहुंचा था लेने
पर तब तक
धड़कनों के चिथड़े उड़ चुके थे
और बिखरी पड़ी
खामोशियाँ
मेरी देह के चारों ओर
उसे दर्द से निजात मिल चुकी थी
उस रोज मवॉर्ड no 3 में
एक दीवाली मैंने भी मनाई थी
जो आखिरी थी जिंदगी की
उसकी
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