इन्ही क़ब्रो में दफ़न कही मेरी भी कोइ लाश होगी
संध्या पे उमीद की उजले की तकदीर ने कहा आब सिर्फ़ रात होगी
प्यासी है येह सुखी धरति तम्मना मेरे खून से इसकी शांत होगी
इन्हें क़ब्रो में दफ़न कहि मेरी भी कोइ लाश होगी
चैन नही है, छेढ़ रहे है उस लाश को सब शयद मौत के बाद भी कोइ मौत होगी
नोच के कतरा कतरा भी तसली नही मिली इसकी भूख के खुरख नाजाने कहा जन्मी होगी
इन्ही क़ब्रो में दफ़न कही मेरी भी कोइ लाश होगी
nice post dear rajni
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रयास बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
thnxs asha ji
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा!
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