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बुधवार, 1 दिसंबर 2010
यादें "हिन्दी" कविता की दुनियाँ: मैं प्रिय पहचानी नहीं
यादें "हिन्दी" कविता की दुनियाँ: मैं प्रिय पहचानी नहीं
: "पथ देख बिता दी रैन मैं प्रिय पहचानी नहीं ! तम ने धोया नभ-पंथ सुवासित हिमजल से; सूने आँगन में दीप जला दिये झिल-मिल से; आ प्रात बुझा गया कौन ..."
2 टिप्पणियां:
Asha Lata Saxena
दिसंबर 12, 2010
सुन्दर भाव लिए रचना |बधाई
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार |
आशा
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Unknown
फ़रवरी 18, 2011
Nice Blog!
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सुन्दर भाव लिए रचना |बधाई
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार |
आशा
Nice Blog!
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