tag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post8693886317110917491..comments2024-03-03T06:06:07.350+05:30Comments on उड़ान मन की : साहित्य के नाम की लड़ाई (क्या आप हमारे साथ हैं )Dinesh pareekhttp://www.blogger.com/profile/00921803810659123076noreply@blogger.comBlogger44125tag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-6424430143017373252013-04-11T19:27:01.190+05:302013-04-11T19:27:01.190+05:30नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!<a href="http://techprevue.blogspot.com" rel="nofollow">नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!</a>Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-85345238253654840802013-03-22T08:38:26.433+05:302013-03-22T08:38:26.433+05:30मैं ज्यादा नहीं जानता नव्या के बारे में. जितना जान...मैं ज्यादा नहीं जानता नव्या के बारे में. जितना जानता हूँ उसमे त्रिवेदी जी को ही जानता हूँ. मुझे लगता है यह साहित्य की लड़ाई नहीं वरन अहम लड़ाई है. जब साहित्यिक लोग अपनी रचनाधर्मिता छोड़कर कानूनी दांवपेंचो में उलझ जायेंगे तो उनकी रचनात्मकता का प्रभावित होना अवश्यम्भावी है. मुझे नही मालूम कि जीत आप दोनो में से किसकी होगी , लेकिन इतना तय है कि हार नव्या की ही होगी. इसलिये मेरा अनुरोध है कि अपने अपने इगो को तिलांजलि देकर, एक दूसरे की शिकायतों एवं समस्यायों को समझ कर , मिल बैठकर, साहित्य हित में काम करें.<br />नीरज 'नीर'<br /><a href="http://www.kavineeraj.blogspot.in/2013/03/blog-post_15.html#comment-form" rel="nofollow">KAVYA SUDHA (काव्य सुधा):</a>Neeraj Neerhttps://www.blogger.com/profile/00038388358370500681noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-32411373261757038482013-03-17T16:29:01.918+05:302013-03-17T16:29:01.918+05:30हरकीरत जी,
नव्या को नज़र लग गई... हरकीरत जी,<br />नव्या को नज़र लग गई... Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-16977152133300374222013-03-17T16:27:50.643+05:302013-03-17T16:27:50.643+05:30श्रीमान शिवनाथ जी,
सहमत...श्रीमान शिवनाथ जी,<br />सहमत...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-4923717691848918282013-03-17T16:27:06.781+05:302013-03-17T16:27:06.781+05:30सम्माननीय श्री वीरेंद्र कुमार शर्मा जी
नमस्कार.
आप...सम्माननीय श्री वीरेंद्र कुमार शर्मा जी<br />नमस्कार.<br />आप सभी का स्नेह-आशीर्वाद सिर्फ सत्य को साथ दें यही ईश्वर से प्रार्थना... मैं आपका ऋणी हूँ..<br />पंकज त्रिवेदी Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-65818920676265709552013-03-17T16:25:46.223+05:302013-03-17T16:25:46.223+05:30सम्माननीय श्री वीरेंद्र कुमार शर्मा जी
नमस्कार.
आप...सम्माननीय श्री वीरेंद्र कुमार शर्मा जी<br />नमस्कार.<br />आप सभी का स्नेह-आशीर्वाद सिर्फ सत्य को साथ दें यही ईश्वर से प्रार्थना... मैं आपका ऋणी हूँ..<br />पंकज त्रिवेदी Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-13081648367750900172013-03-17T16:23:00.430+05:302013-03-17T16:23:00.430+05:30सम्माननीय धीरेन्द्र सिंह जी,
नमस्कार..
आपके लिखे...सम्माननीय धीरेन्द्र सिंह जी,<br />नमस्कार.. <br />आपके लिखे यह सिर्फ शब्द नहीं है, दर्द की वो कसक है जो घाव भरने के बाद भी चुभती है... मैं आपका आभारी हूँ..<br />पंकज त्रिवेदी <br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-1031521215693591312013-03-15T08:04:27.642+05:302013-03-15T08:04:27.642+05:30सुचना ****सूचना **** सुचना
सभी लेखक-लेखिकाओं के ...सुचना ****सूचना **** सुचना <br /><br />सभी लेखक-लेखिकाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सुचना <a href="http://rohitasghorela.blogspot.in/2013/03/blog-post_15.html" rel="nofollow">सदबुद्धी यज्ञ</a><br /><br /><br />(माफ़ी चाहता हूँ समय की किल्लत की वजह से आपकी पोस्ट पर कोई टिप्पणी नहीं दे सकता।)Rohitas Ghorelahttps://www.blogger.com/profile/02550123629120698541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-17558201678791293172013-03-14T14:46:17.511+05:302013-03-14T14:46:17.511+05:30मुझे भी ख़ुशी होगी यदि मेरे पक्ष को भी एक बार पढ़ा ज...मुझे भी ख़ुशी होगी यदि मेरे पक्ष को भी एक बार पढ़ा जाए .. कमसे कम लोगो को आज तो पता चले की 'नव्या' शिला डोंगरे की भी थी .... Sheelahttps://www.blogger.com/profile/09588447124610287705noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-90446879631204435302013-03-14T14:38:59.373+05:302013-03-14T14:38:59.373+05:30कुछ तो मजबूरियां रही होगी ,, वरना यूँ ही कोई बेवफा...कुछ तो मजबूरियां रही होगी ,, वरना यूँ ही कोई बेवफा नहीं होता ....धीरेन्द्र सिहं भदोरिया जी ...Sheelahttps://www.blogger.com/profile/09588447124610287705noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-20532754160815605892013-03-14T14:35:33.561+05:302013-03-14T14:35:33.561+05:30VIRENDR KUMAR SHRMA ji ..क्या आप तिरिया चरित्र का ...VIRENDR KUMAR SHRMA ji ..क्या आप तिरिया चरित्र का अर्थ समझायेंगे ...?Sheelahttps://www.blogger.com/profile/09588447124610287705noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-24765473802980709852013-03-14T14:28:36.801+05:302013-03-14T14:28:36.801+05:30Sheela Dongre
विशेष सुचना
'नव्या' के प्रका...Sheela Dongre<br />विशेष सुचना<br />'नव्या' के प्रकाशन का निर्णय नासिक के बैठक में ही लिया गया । हाँ ये सत्य है कि 'नव्या' से मै अपनी ख़ुशी से जुडी थी । बल्कि 'नव्या' की प्रिंट पत्रिका मेरा ही निर्णय था । मेरी विनम्रता यदि किसी को मेरी कमजोरी लगे, तो उसे कमजोरी और विनम्रता में अंतर बताना मेरा फर्ज था ।<br />मेरा और श्री पंकज त्रिवेदी जी का परिचय मात्र एक साल पुराना है । 'नव्या' से प्रारम्भ हुई और 'नव्या' पर ही ख़त्म हो गया। मैंने कभी भी किसी को अपनी फ्रेंड लिष्ट से नही निकाला और ना ही कभी जोड़ा । ये जोड़-तोड़ की आदत तो त्रिवेदीजी की है ... । प्रिंट पत्रिका निकलना असं नही होता बहुत आर्थिक बल की जरुरत होती है । जाहिर सी बात है पैसा घर से ही लगाने थे । पार्टनर होने के नाते हम दोनों ने ही ५०%, ५०% का जिम्मा उठाया । अगर हम पार्टनर है तो निर्णय भी हम दोनों के सहमती से होने चाहिए थे । लेकिन पिछले ६ महीने में सरे निर्णय त्रिवेदी जी के रहे । पूछने पर नव्या के हित में कह कर टला जाने लगा । धीरे धीरे नव्या से मुझे निकाले जाने की साजिश आकार लेने लगी । 'अहिसास' द्वारा लिए गए नासिक के किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम की खबर 'नव्या' इपत्रिका में नही प्रकाशित होती । पूछे जाने पर .. भूल गया जैसे जवाब मिलता । 'नव्या' के एनी संगीसथियों को भी इसी प्रकार से निकाला गया था । इसका सीधा सा यही मतलब निकलता है कि श्री पंकज त्रिवेदी 'नव्या' के नाम से केवल खुद को महिमामंडित कर रहे थे । बिना ये सोचे की उन्होंने जिनके कंधो पर अपना पैर धरा है उनपर बोझ पड़ रहा है । बिना किसी कागजी कार्यवाही के, बिना किसी पार्टनरशिप की डील किये केवल शाब्दिक विश्वास पर ये सब चलता रहा । लेकिन जब मेरा विश्वास डगमगाने लगा, मैंने लिखित पेपर बनाने की जिद की । पत्रिका को रजिस्टर करने की बात कही ... त्रिवेदी जी ने अपने नाम से रजिस्ट्रेशन फार्म भरा । ये जायज भी था .. और मुझे कोई आपति नहीं थी । सोच यही थी की पार्टनरशिप डील तो है । अब अगर मै किसी और नाम से पत्रिका का रजिस्ट्रेशन कराती तो क्या होता ...एक झूटे और मक्कार इंसान को फिर शय मिल जाती । इस लिए मैंने 'नव्या' का नाम ही सही समझा । त्रिवेदी जी की तिलमिलाहट तो बस इतनी है कि उनके पास कोई हक़ नहीं रहा 'नव्या' का । अब अगर वाकई 'नव्या' के हित की उन्हें इतनी ही चिंता है तो 'नव्या' का सह सम्पादक पद मै उन्हें दे सकती हूँ । अगर मई उनके नाम से रजिस्टर 'नव्या' में काम कर सकती थी । और उनकी सहसंपादक बन सकती थी तो ओ क्यों नहीं ?<br />अब रही गुडविल की बात, तो जहां साथ काम शुरू किया वाहा गुडविल अकेले त्रिवेदी जी का कैसे हो सकता है ? देश भर में कार्यक्रम तो 'अहिसास' की और से ही आयोजित हो रहे थे । तो गुडविल अकेली नव्या का कैसे हुआ ?<br />अब अगर आगे कोई व्याक्ति त्रिवेदी जी से गठबंधन करना चाहे तो पूरी तौर पर क़ानूनी कार्यवाही पूर्ण करे । क्यों की त्रिवेदी जी कहते कुछ है और करते कुछ है ॥<br />जन हित में जारी ..Sheelahttps://www.blogger.com/profile/09588447124610287705noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-30729038171823504322013-03-14T12:50:15.782+05:302013-03-14T12:50:15.782+05:30अफसोस ! साहित्य के साथ भी लोग इस कदर दुराचार करके ...अफसोस ! साहित्य के साथ भी लोग इस कदर दुराचार करके अपना ईमान बेच देते हैं। Rajputhttps://www.blogger.com/profile/08136572133212539916noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-58859037221217848862013-03-14T12:49:24.536+05:302013-03-14T12:49:24.536+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Rajputhttps://www.blogger.com/profile/08136572133212539916noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-12621744183225604632013-03-13T22:35:23.637+05:302013-03-13T22:35:23.637+05:30अरे पंकज जी ये सब क्या हो गया .....??
आप निश्चिन्त...अरे पंकज जी ये सब क्या हो गया .....??<br />आप निश्चिन्त रहे हम आपके साथ हैं .....<br />दिनेश जी का आभार जिन्होंने हमें यह सुचना दी .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-44208249342899365002013-03-13T21:15:17.402+05:302013-03-13T21:15:17.402+05:30सच की हमेशा जीत होती है ...
सादर !सच की हमेशा जीत होती है ...<br />सादर !शिवनाथ कुमारhttps://www.blogger.com/profile/02984719301812684420noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-79436619260104514682013-03-13T20:54:16.421+05:302013-03-13T20:54:16.421+05:30पंकज त्रिवेदी जी तिरिया चरित्र कौन बूझ सका है .आप ...पंकज त्रिवेदी जी तिरिया चरित्र कौन बूझ सका है .आप की मुहीम का हम समर्थन करते हैं .दिनेश पारीक जी का आभार व्यक्त करते हैं .<br /><br />नव्या को निर्भया नहीं बनने दिया जाएगा .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-33615793714318788032013-03-13T20:53:29.994+05:302013-03-13T20:53:29.994+05:30पंकज त्रिवेदी जी तिरिया चरित्र कौन बूझ सका है .आप ...पंकज त्रिवेदी जी तिरिया चरित्र कौन बूझ सका है .आप की मुहीम का हम समर्थन करते हैं .दिनेश पारीक जी का आभार व्यक्त करते हैं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-44536551848054699912013-03-13T20:49:42.769+05:302013-03-13T20:49:42.769+05:30इतना बड़ा विश्वासघात,क्या ऐसा भी हो सकता है,,,निदन...<b>इतना बड़ा विश्वासघात,क्या ऐसा भी हो सकता है,,,निदनीय ,,,,</b><br /><br /><b>Recent post</b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/03/blog-post.html#links" rel="nofollow">: होरी नही सुहाय,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-73149793417084470662013-03-13T20:09:41.280+05:302013-03-13T20:09:41.280+05:30ब्रिजेश जी ,
आपने बिलकुल सही कहा... लगाव होना और ल...ब्रिजेश जी ,<br />आपने बिलकुल सही कहा... लगाव होना और लालच होना, कितना बड़ा फर्क है... है न?<br />आभारी हूँ मित्र..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-16030749146290359542013-03-13T20:08:40.099+05:302013-03-13T20:08:40.099+05:30मित्रश्री मुकेश कुमार जी,
आपके साथ-सहयोग के लिए तह...मित्रश्री मुकेश कुमार जी,<br />आपके साथ-सहयोग के लिए तहे दिल से आभारी हूँ... भरोसा दिलाता हूँ कि आपकी श्रद्धा का खंडन नहीं होगा Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-18191952178917060062013-03-13T20:07:21.309+05:302013-03-13T20:07:21.309+05:30आपके ब्लॉग पर लिखा है... धन्यवाद आपके ब्लॉग पर लिखा है... धन्यवाद Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-49852782285847167372013-03-13T20:04:52.213+05:302013-03-13T20:04:52.213+05:30ब्लॉग बुलेटिन,
मित्र, मैं आभारी हूँ कि आपने एक स्त...ब्लॉग बुलेटिन,<br />मित्र, मैं आभारी हूँ कि आपने एक स्तुत्य प्रयास किया इस पोस्ट को जारी करके... <br />आपके साथ के लिए आभारी हूँ Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-8679386666664745532013-03-13T20:03:33.648+05:302013-03-13T20:03:33.648+05:30सारिका जी,
आपके शब्द ही नहीं, यह बहौत बड़ी ताकत है...सारिका जी, <br />आपके शब्द ही नहीं, यह बहौत बड़ी ताकत है... आभारी हूँ मैं Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-52507343261631081432013-03-13T20:02:35.038+05:302013-03-13T20:02:35.038+05:30सम्माननीय अज़ीज़ साहब,
आदाब... आपके आशीर्वाद हम पर ब...सम्माननीय अज़ीज़ साहब,<br />आदाब... आपके आशीर्वाद हम पर बना रहें... हमें किसी के प्रति न रोष है न नफ़रत.. जो संवेदना और शब्दों का थैला लेकर निकाला हों, भला उसे क्या लालच होगा? <br />आपके आशीर्वाद से सब ठीक हो जाएगा... आभार Anonymousnoreply@blogger.com