tag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post5626532343079238071..comments2024-03-03T06:06:07.350+05:30Comments on उड़ान मन की : ये मेरा रंग मेराDinesh pareekhttp://www.blogger.com/profile/00921803810659123076noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-86828088644718164342012-12-06T10:00:28.163+05:302012-12-06T10:00:28.163+05:30bhaiya is ko yaha nahi blog par post karana tha bhaiya is ko yaha nahi blog par post karana tha Dinesh pareekhttps://www.blogger.com/profile/00921803810659123076noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-65465822076703423342012-12-04T23:13:21.862+05:302012-12-04T23:13:21.862+05:30चंद लम्हो से मिनट , मिनट से घंटे
घंटो से तर-बतर प...चंद लम्हो से मिनट , मिनट से घंटे <br />घंटो से तर-बतर पल-पल दिन जया करते है <br /><br />कभी-कभी हम किसी एक को याद रखने मे <br />किसी ओर को भी तो भूल जया करते है<br /><br />गर्मी सर्दी वर्षा बसंत बहार <br />हर साल ये जरूर आया करते है <br /><br />मोसम तो आते जाते रहते जानी <br />लेकिन सायद ही कभी भूले याद आया करते है<br /><br />ये तो जालिम जमाने का दोष है भाई <br />हम तो बहुत याद करने की कोशिश करते <br /><br />कभी-कभी तो पास आ कर ठहर जाया करते है<br />क्या करे हर बार ये कमबख्त काम आ जया करते है<br /><br />बहाने नहीं है ये दोस्त मेरे सच है<br />जिंदगी के सफर में कभी-क भूले बिसरे भी याद आया करते है<br />कवि कूमाणसhttps://www.blogger.com/profile/14745321733419674109noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-89395695422480650752012-12-04T23:04:50.278+05:302012-12-04T23:04:50.278+05:30कमावण लागया रूपली जद हुया जवान
कागद रो जग जीत गे ह...कमावण लागया रूपली जद हुया जवान<br />कागद रो जग जीत गे हू या घणा परेशान<br /><br />जग भुल्या घर भुलग्या , भुलग्या गाँव समाज<br />गाँव री बेठक भूल्या , भुलग्या खेत खलिहान <br /><br />बचपन भुलया, बड़पण भुलया, भुलया गळी -गुवाड़<br />बा बाड़ा री बाड़ कुदणी, पिंपळ री झुरणी बो संगळया रो साथ<br /><br />कद याद ना आव बडीया बापड़ी , घणा दिना सूं ताऊ<br />काको भूल्या दादों भूल्या , बोळा दिना सूं भूल्या माऊ<br /><br />इण कागद री माया घणेरी यो कागद बड़ो बलवान<br />कागद रो जग जीत गे हू या घणा परेशान<br /><br />गाँव रो खेल भूल्या, बचपण मेल रो भूल्या <br />गायां खूँटो भूल्या , पिंपळ रो गटो भूल्या <br /><br />राताँ री बाताँ बिसराई , मांग्योड़ी छा बिसराई <br />धन धन में भाजताँ बाजरी गी ठंडी रोटी बिसराईकवि कूमाणसhttps://www.blogger.com/profile/14745321733419674109noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-3153395576401343452012-11-26T22:51:35.646+05:302012-11-26T22:51:35.646+05:30सही और सार्थक सन्देश सही और सार्थक सन्देश Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-14798427148039164152012-11-25T15:52:52.373+05:302012-11-25T15:52:52.373+05:30क्यों नहीं है जीने का हक़ ?
वो कहावत नहीं सुनी.. &...क्यों नहीं है जीने का हक़ ?<br />वो कहावत नहीं सुनी.. " सुंदर सलोनी... साँवली सी सूरत, मोहिनी मूरत !"<br />और वो गीत भी... " दिल को देखो, चेहरा ना देखो..." और.. "गोरे रंग पे इतना गुमान कर..." <br />इंसान दिल से सुंदर होता है, चेहरे से नहीं ! इसलिए अपने मन के उल्टे-सीधे विचारों को रोक लीजिए !<br />और मुस्कुराइये कि आप दिल से खूबसूरत हैं.... :-)Anita Lalit (अनिता ललित ) https://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.com