tag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post4992684886383684169..comments2024-03-03T06:06:07.350+05:30Comments on उड़ान मन की : रूठी तनहाईयों में दर्द की बाहों मे सिमटेDinesh pareekhttp://www.blogger.com/profile/00921803810659123076noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-88578123194419251612013-04-14T13:11:56.840+05:302013-04-14T13:11:56.840+05:30सोचने को मजबूर करती है आपकी यह रचना ! सादर !
सोचने को मजबूर करती है आपकी यह रचना ! सादर !<br />संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-20755698264931325232013-04-14T13:11:25.796+05:302013-04-14T13:11:25.796+05:30किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया...किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।<br />संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-70602839092234908252011-12-04T09:49:28.597+05:302011-12-04T09:49:28.597+05:30लोकेंदर जी आप मेरे ब्लॉग पे आये यही मेरे लिए बड़ी...लोकेंदर जी आप मेरे ब्लॉग पे आये यही मेरे लिए बड़ी बड़ी सफलता है और मुझे अपने विचारो से अवगत करवाया <br />बस असे ही आना जाना बना के रखिये<br />धन्यवाद् <br />दिनेश पारीकDinesh pareekhttps://www.blogger.com/profile/00921803810659123076noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-136608227157311629.post-32933909815282743182011-02-15T13:08:27.500+05:302011-02-15T13:08:27.500+05:30जीवन इसी को कहते है जो हर पल स्पष्ट न रहे....
आपने...जीवन इसी को कहते है जो हर पल स्पष्ट न रहे....<br />आपने एक अच्छी रचना की है लेकिन कही-कही वर्तनी में त्रुटी है उसे शुद्ध कर लीजिये, जिससे इसे लय में पढ़ा जा सके....<br />धन्यवाद...लोकेन्द्र विक्रम सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08180984515356933377noreply@blogger.com