सोमवार, 10 सितंबर 2012

काफी वक़त गुजर गया है (2)

कभी कुछ जतन करता हूँ , कभी कुछ यतन करता हूँ |
फिर भी न जाने  क्यों  मैं उसी  मुहाने पर रहता हूँ  || ??
वक्त के पीछे तो मैं दोड़ नहीं सकता 
बस अपने पुराने ख्यालों मैं जीता हूँ 
वक्त  गुजरता जाता है नई बहु का राज आ जाता हैं 
हम अपने ही घर में बंद पड़े रहते हैं 
उनका स्वागत किया जाता है 
इस दुनिया को दोष दू , या इस ज़माने को दोष दू | 
इस पीढ़ी को दोष दू , या इस जवानी को दोष दू 
तुम सब को इस तरह बना दिया | जवान  तो हम भी  हुए  थे ,
कहूँ तो  ऐसे लगता है की जले पर नमक लगा दिया ||
फिर ना जाने  क्यों मैं तेरी लम्बी उम्र की दुआ करता हूँ ................
इस गोद मैं खेला करता था , अगुली पकड़ कर चला करता था 
 तुम को चलने  में तकलीफ हुई  तो घोडा भी बना करता था 
तुम मेरे होकर भी नए ज़माने के हो गए 
हम तो  अपने घर मैं ही   एक मेहमान  हो गए 
इस उम्र मैं  तेरे ज़माने के साथ चले की  कोशिश  करता हूँ 
फिर भी तुम दूर दिखाई देते हो 
मैं तो उसी मुहाने  पर रह जाता हूँ .............................
मैं तो जिंदगी को बोझ की तरह जी कर रवानगी ले  लूंगा
उस  वक्त   पास आ जाना मैं ख़ुशी ख़ुशी मर लुगा 
फिर ना जाने  क्यों मैं तेरी लम्बी उम्र की दुआ करता हूँ..

14 टिप्‍पणियां:

  1. लंबी उम्र की दुआ तो आ निकलती है मुंह से ... इसपे किसी का बस नहीं होता ...

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल मंगलवार ११/९/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है

    जवाब देंहटाएं
  3. मैं तो जिंदगी को बोझ की तरह जी कर रवानगी ले लूंगा
    उस वक्त पास आ जाना मैं ख़ुशी ख़ुशी मर लुगा
    फिर ना जाने क्यों मैं तेरी लम्बी उम्र की दुआ करता हूँ.
    dil se niklee huyi sachchee baat , sundar rachanaa.

    जवाब देंहटाएं
  4. खूबसूरत विचार.. पीढ़ियों के बीच बढ़ते दरार को दर्शाती और एक वेदना भी निकालती हुई..

    जवाब देंहटाएं
  5. ये ही जिंदगी के रंग हैं ....एक पल में जिंदगी कैसे बदल जाएगी ...वो कोई नहीं जानता

    जवाब देंहटाएं
  6. रंग बदलती दुनिया में समय के साथ साथ जिंदगी के रंग भी बदलेंगे ..यही रीति है.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही मन मोहक सुन्दर रचना..

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर कविता भाई धीरेन्द्र जी आभार |

    जवाब देंहटाएं
  9. जीवन तो पल पल बदलता है. जो कल था वह आज कैसे रहेगा? हमें ही समय के साथ अपने को बदलना होगा. कविता में समय को अस्वीकार कर एक टीस है.
    घुघूतीबासूती

    जवाब देंहटाएं
  10. yahi to piyar hai .....aur piyar ki kamjori hai jise majboot bnana hoga ...tabhi bat bnegi ...

    जवाब देंहटाएं